iGrain India - नई दिल्ली । सब्जियों एवं खाद्य तेलों के दाम में कुछ नरमी आने से अगस्त में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई दर घटकर 7 प्रतिशत से नीचे आते हुए 6.8 प्रतिशत पर आ गई जो जुलाई में 7.4 प्रतिशत थी।
लेकिन अनाज एवं इसके उत्पादों का भाव काफी ऊंचे स्तर पर कायम रहा। अगले महीने रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक होने वाली है लेकिन विशेषज्ञों को लगता है कि इस मीटिंग में रेपो रेट की दर में कोई बदलाव नहीं होगा। इसका मतलब यह हुआ कि निकट भविष्य में ऋण पर ब्याज की दर में कोई परिवर्तन नहीं होने वाला है।
यद्यपि अगस्त में टमाटर, प्याज और आलू की कीमतों में कुछ नरमी आई लेकिन आगे इसके दाम में और गिरावट आने का कोई संकेत नहीं मिल रहा है।
इसके साथ-साथ मानसून की कमजोर एवं असमान वर्षा से खरीफ फसलों को नुकसान भी हो रहा है जिससे खासकर अनाज एवं दाल की कीमतों में मजबूती बरकरार है। लेकिन एक अच्छी बात यह है कि कोर महंगाई दर 5.1 प्रतिशत से गिरकर 5 प्रतिशत के करीब रह गई और इस तरह लगातर तीसरे माह इसमें गिरावट दर्ज की गई।
एक अर्थशास्त्री के अनुसार दिसम्बर में शीर्ष उपभोक्ता महंगाई दर कुछ और नीचे आ सकती है क्योंकि टमाटर की कीमतों में भारी गिरावट आई है। लेकिन अनाज एवं दलहन का ऊंचा भाव गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है।
मानसून की वर्षा कम हुई है और खरीफ कालीन दलहनों का बिजाई क्षेत्र भी गत वर्ष से 8.6 प्रतिशत पीछे रह गया है। पेट्रोलियम के दाम में हाल में हुई वृद्धि अगर आगे भी जारी रहती है तो ईंधन स्रोतों का भाव बढ़ेगा और इसका असर अन्य उत्पादों पर भी पड़ेगा।
सरकार महंगाई रोकने हेतु प्रयासरत है। अगले महीने कुछ महत्वपूर्ण पर्व-त्यौहार है इसलिए बाजार को स्थिर रखने की पूरी कोशिश की जा रही है।