iGrain India - नई दिल्ली । दक्षिण- पश्चिम मानसून के सीजन में वर्षा का अभाव होने से खरीफ फसलों को हो रहे नुकसान को देखते हुए जहां किसानों और सरकार की चिंता बढ़ गई है वहां घरेलू बाजार पर इसका मनोवैज्ञानिक असर पड़ने से आवश्यक वस्तुओं का दाम बढ़ गया है।
बढ़ती महंगाई से उपभोक्ता काफी परेशान है। ऐसे माहौल में ही मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में विधान सभा का चुनाव होने वाला है।
सितम्बर में कुछ राज्यों में बारिश हुई है जिससे अगस्त के भयंकर सूखे से फसलों को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है लेकिन अनेक इलाकों में अब भी जोरदार वर्षा की आवश्यकता है।
समीक्षकों के अनुसार पिछले एक वर्ष के अंदर दाल-दलहन के दाम में 37 प्रतिशत एवं चावल के भाव में 9 प्रतिशत का इजाफा हो गया। इसके अलावा गेहूं, आटा तथा चीनी का मूल्य भी ऊंचा चल रहा है।
मसालों की कीमतों में आई तेजी ने गृहणियों को परेशान कर रखा है। मानसून के कमजोर रहने से आगे भी महंगाई का खौफ बरकरार रहने की आशंका है। खाद्य तेल के मामले में थोड़ी राहत जरूर देखी जा रही है क्योंकि विदेशों से इसके आयात का प्रवाह बहुत तेज हो गया है।
आटा-दाल का भाव पूछने का समय नहीं रहा। कीमतों में मनमानी बढ़ोत्तरी हो रही है। सरकार वैसे तो महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए तरह-तरह से एहतियाती कदम उठा रही है लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि आवश्यक वस्तुओं की पर्याप्त आपूर्ति एवं उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए इसके पास सीमित विकल्प मौजूद हैं और उसका उपयोग भी कारगर साबित नहीं हो रहा है।
उदाहरणस्वरूप, सरकार खुले बाजार बिक्री योजना के तहत सस्ते दाम पर गेहूं और चावल की बिक्री कर रही है लेकिन फिर भी इसके थोक एवं खुदरा बाजार भाव में नरमी आने के संकेत नहीं मिल रहे हैं।
इसी तरह चीनी का विशाल मासिक फ्री सेल (NS:SAIL) कोटा जारी किया जा रहा है मगर इसका दाम भी ऊंचे स्तर पर बरकरार है। दाल-दलहन का बाजार अपनी मस्त चाल से आगे बढ़ रहा है और सरकारी चावल का इस पर कोई असर होता नहीं दिख रहा है।
चुनाव के समय पार्टियों एवं नेताओं द्वारा अनेक वादे किए जायंगे, गरीबी, भुखमरी, महंगाई एवं बेरोजगारी हटाने के सब्ज बाग़ दिखाए जाएंगे लेकिन चुनाव के बाद सब कुछ पहले की तरह सामान्य हो जाएगा।