iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार की अधीनस्थ एजेंसी- भारतीय खाद्य निगम (एसीआई) यह देखने के लिए लगातार पैकिंग कर रही है कि फ्लोर मिलों के पास घोषित स्टॉक से कहीं ज्यादा गेहूं का भंडारण तो मौजूद नहीं है।
केन्द्र सरकार घरेलू प्रभाग में गेहूं एवं इसके मूल्य संवर्धित उत्पादों की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए जोरदार प्रयास कर रही है मगर इसके दाम में नरमी आने के संकेत नहीं मिल रहे हैं। अनेक फ्लोर मिलर्स ने इस बात की पुष्टि की है कि खाद्य निगम के अधिकारी गेहूं स्टॉक की जांच-पड़ताल के लिए मिल परिसर में आ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि खाद्य निगम द्वारा खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत फ्लोर मिलर्स एवं अन्य बल्क खरीदारों को रियायती मूल्य पर गेहूं बेचा आज रहा है जिसका उद्देश्य इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाकर कीमतों को नियंत्रित करना है।
शुरूआती चरण में इस योजना के अंतर्गत 15 लाख टन गेहूं बेचने की घोषणा हुई थी मगर बाद में इसे बढ़ाकर 50 लाख टन नियत कर दिया गया। गेहूं का न्यूनतम आरक्षित मूल्य (रिजर्व प्राइस) सामान्य औसत क्वालिटी के लिए 2150 रुपए प्रति क्विंटल तथा यूआरएस के लिए 2125 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है जो बाजार में प्रचलित भाव से नीचे है।
हालांकि उद्योग समीक्षकों का कहना है कि ओएमएसएस के तहत साप्ताहिक ई-नीलामी के दौरान खाद्य निगम द्वारा सीमित मात्रा में गेहूं की बिक्री का ऑफर दिया जाता है इसलिए बड़े आकार के फ्लोर मिलर्स को खुले बाजार से अपनी शेष जरूरत को पूरा करने के लिए गेहूं खरीदना पड़ता है।
नियमाअनुसार बोली प्रक्रिया (बिडिंग प्रोसेस) में भाग लेने वाले मिलर्स को अपने स्टॉक की घोषणा करनी पड़ती है। एक समीक्षक के अनुसार त्यौहारी सीजन के दौरान गेहूं की मासिक घरेलू मांग 50 से 100 प्रतिशत तक बढ़ने की परिपाटी रही है। इस बार भी सितम्बर से नवम्बर तक इसकी मांग काफी मजबूत बनी रहेगी।
खाद्य निगम द्वारा समुचित मात्रा में गेहूं उपलब्धता नहीं करवाया जा रहा है इसलिए कीमतों में तेजी-मजबूती का माहौल बना हुआ है। प्रत्येक सप्ताह हरेक खरीदार के लिए गेहूं की उच्चतम खरीद मात्रा को 100 टन के वर्तमान स्तर से बढ़ाकर 300-500 टन नियत करने का अनुरोध किया जा रहा है मगर सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है।