iGrain India - नई दिल्ली । चालू माह के दौरान महाराष्ट्र एवं कर्नाटक के प्रमुख दलहन उत्पादक इलाकों में मानसून की बारिश होने से अधिकांश दलहनों का भाव आंशिक रूप से स्थिर होने लगा है। वैसे उड़द एवं मसूर की कीमतों में फिलहाल स्थिरता आने के स्पष्ट संकेत नहीं मिल रहे हैं।
अफ्रीकी देशों से तुवर की नए माल की आवक भी जल्दी शुरू होने वाली है। समझा जाता है कि 25 सितम्बर तक मोजाम्बिक से आयातित तुवर की खेप भारतीय बंदरगाह पर पहुंच सकती है।
हाल के महीनों में चना की कीमतों में तेजी आई थी लेकिन अगस्त के अंत से इसमें करीब 3 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है। इसका प्रमुख कारण सरकारी स्टॉक से चना की बिक्री में इजाफा होना बताया जा रहा है। तुवर की फसल को हाल की बारिश से राहत मिली है।
लेकिन व्यापार विश्लेषक फिलहाल दाल-दलहन की कीमतों में नरमी का रूख बनने के प्रति पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं। उनका मानना है कि कुछ और समय तक बाजार में उतार-चढ़ाव का माहौल बरकरार रह सकता है क्योंकि त्यौहारी सीजन में दाल-दलहन की मांग एवं खपत बढ़ने की संभावना है।
इसके अलावा खरीफ कालीन दलहन फसलों के बिजाई क्षेत्र में 8.6 प्रतिशत की आई गिरावट से भी बाजार को मजबूत रहने का आधार मिल सकता है। इसके तहत तुवर, उड़द एवं मूंग के क्षेत्रफल में कमी आई है। अगस्त के बेहद कमजोर मानसून से फसल को नुकसान भी हुआ है।
आई ग्रेन इंडिया के डायरेक्टर एवं जिंस विश्लेषक राहुल चौहान का कहना है कि मांग एवं आपूर्ति के समीकरण को देखते हुए दाल-दलहन बाजार में कुछ समय तक उतार-चढ़ाव बरकरार रह सकता है।
एक तरफ त्यौहारों की वजह से मांग में वृद्धि हो सकती है तो दूसरी ओर तुवर के 3-4 लाख टन के आयात से आपूर्ति की स्थिति में सुधार आने की उम्मीद भी है। इसके अलावा अगले महीने से खरीफ कालीन उड़द एवं मूंग की नई फसल की आवक जोर पकड़ेगी और बाजार में इसकी उपलब्धता बढ़ेगी।
केन्द्रिय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान उड़द के उत्पादन क्षेत्र में 5.18 लाख हेक्टेयर, तुवर के बिजाई क्षेत्र में 2.69 लाख हेक्टेयर तथा मूंग के क्षेत्रफल में 2.56 लाख हेक्टेयर की गिरावट आ चुकी है दलहन फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र भी 8.6 प्रतिशत घटकर 120 लाख हेक्टेयर के करीब रह गया।