iGrain India - नई दिल्ली । भारत विरोधी खालिस्तानी समर्थकों के खिलाफ कनाडा सरकार द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाने से दोनों देशों के बीच मतभेद एवं तनाव काफी बढ़ गया है।
हालांकि जी 20 सम्मेलन में भाग लेने आए कनाडा के प्रधानमंत्री ने - भारतीय प्रधानमंत्री के साथ बातचीत के दौरान खालिस्तान के मुद्दे पर कहा था कि कुछ लोगों की सोच एवं हरकत को पूरे कनाडा का रुख नहीं माना जाना चाहिए मगर उन्होंने तत्काल उसके खिलाफ कदम उठाने का कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया। इससे भारत को काफी निराशा हुई।
वरिष्ठ आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इस मुद्दे को ज्यादा तूल नहीं दिया जाना चाहिए। यह स्पष्ट है कि खालिस्तानी मुद्दे पर कनाडा सरकार के नरम रुख से भारत प्रभावित नहीं हुआ है। कनाडा ने भारत की चिंता को पूरी तरह नजरअंदाज कर रखा है।
चालू माह के आरंभ में कनाडा ने घोषणा की थी कि उससे व्यापारिक संधि के लिए भारत के साथ वार्ता स्थगित कर दी है। उसने इसका कोई कारण भी नहीं बताया। इससे पल्स कनाडा को काफी मायूसी हुई क्योंकि उसे उम्मीद थी कि व्यापारिक समझौता होने पर भारत में कनाडाई मटर का दोबारा निर्यात शुरू हो सकता है।
इस संस्था का कहना था कि भारत में फिलहाल करीब 230 लाख टन दलहनों की वार्षिक खपत होती है जबकि आने वाले समय में यह 350-400 लाख टन तक पहुंच सकती है और यह कनाडाई दलहनों के लिए सबसे बड़ा तथा सर्वाधिक महत्वपूर्ण बाजार साबित हो सकता है। लेकिन व्यापार वार्ता पर विराम से यह उद्देश्य अधूरा रह जाएगा।
भारत ने कनाडा में जारी कुछ खास राजनैतिक गतिविधियों पर सख्त एतराज जताया है और इसलिए जब तक इन विवादास्पद मुद्दों को सुलझाया नहीं जाता तब तक व्यापार वार्ता पर विराम लगा रह सकता है।
भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने हेतु मुक्त व्यापार समझौता के लिए आरंभिक दौर की बातचीत हो रही थी। भारत अपने छात्रों एवं प्रोफेशनल्स के लिए वहां वीजा नियमों को उदार एवं आसान बनाने में दिलचस्पी दिखा रहा था। दोनों देशों के बीच व्यापार संधि पर अब तक छह से ज्यादा दौर की बातचीत हो चुकी है।