iGrain India - मुक्तसर । पिछले सप्ताह पंजाब के प्रमुख कपास उत्पादक क्षेत्रों में तेज- तूफानी हवा के साथ हुई भारी वर्षा से फसल को क्षति होने की सूचना मिल रही है। कपास के पौधे लगभग आठ फीट तक ऊंचे हो गये थे जिसे तूफानी हवा ने नीचे जमीन पर गिरा दिया।
इससे किसानों को भारी नुकसान होने की आशंका है। जानकारों के मुताबिक इस प्राकृतिक आपदा से पूर्व वहां कपास फसल की हालत काफी अच्छी थी।
पौधों की लम्बाई भी बहुत बढ़ गई थी और रूई की औसत उपज दर 17 क्विंटल प्रति एकड़ तक पहुंच जाने का अनुमान लगाया जा रहा था लेकिन अब वह उम्मीद काफी हद तक निराशा में बदल गई है।
इस बार वैसे भी पंजाब में कपास के बिजाई क्षेत्र में काफी गिरावट आ गई और किसानों को बीज, कीटनाशी दवा, मजदूर तथा डीजल आदि पर कुल मिलाकर करीब 30,000 रुपए प्रति एकड़ की दर से धनराशि खर्च करनी पड़ी।
अब फसल को हो रहे नुकसान से मूलधन निकालना भी मुश्किल हो जाएगा। ऐसी हालत में राज्य सरकार को किसानों की मदद के लिए आगे आना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि पंजाब में कपास की अगैती खेती होती है और मई तक इसकी बिजाई प्रक्रिया पूरी हो जाती है। इसके फलस्वरूप वहां सितम्बर से रूई के नए माल का आना आरंभ हो जाता है।
मुक्तसर जिले में कपास की प्रथम चरण की तुड़ाई-तैयारी हो चुकी थी और मंडियों में रूई का दाम भी न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊंचा चल रहा था। अब दूसरे दौर की तुड़ाई-तैयारी शुरू होने वाली थी।
आमतौर पर पंजाब में तीन चरण में कपास की तुड़ाई-तैयारी होती है जो मध्य नवम्बर तक जारी रहती है। मुक्तसर के अलावा भटिंडा एवं फाजिल्का जिलों में भी तेज हवा एवं भारी वर्षा से कपास की फसल को नुकसान होने की खबर आ रही है।
अबोहर में कपास की तुड़ाई-तैयारी एक-दो दिन में शुरू होने वाली थी मगर बारिश की वजह से फसल को काफी नुकसान हो गया। मुक्तसर जिले के मुख्य कृषि अधिकारी ने स्वीकारी किया है कि मलौत एवं गीदड़वाहा सब डिवीजन के किसानों ने फसल की हालत लगभग सामान्य है। पहले शुष्क एवं गर्म मौसम से फसल को क्षति हो रही थी।