iGrain India - जयपुर । हालांकि आमतौर पर राजस्थान को एक रेगिस्तानी प्रदेश माना जाता है जबकि हकीकत यह है कि यह देश के अग्रणी कृषि उत्पादक राज्यों में शामिल है।
वहां गेहूं, सरसों, चना, ज्वार, जौ, बाजरा, मूंगफली, सोयाबीन तथा मूंग सहित कई अन्य फसलों का विशाल उत्पादन होता है जबकि वह अरंडी, कपास एवं उड़द का भी महत्वपूर्ण उत्पादक राज्य है। ग्वार का सर्वाधिक उत्पादन राजस्थान में ही होता है।
राज्य कृषि विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि राजस्थान में 2022-23 के मार्केटिंग सीजन के दौरान सरसों का उत्पादन तेजी से बढ़कर 63.31 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया जो केन्द्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर लगाए गए उत्पादन अनुमान 124.94 लाख टन का 51 प्रतिशत है।
इसी तरह मूंग का उत्पादन 11.75 लाख टन दर्ज किया गया जो कुल अनुमानित राष्ट्रीय उत्पादन 37.40 लाख टन का 31 प्रतिशत रहा। जहां तक बाजरा का सवाल है तो 2022-23 के सीजन में इसका उत्पादन राजस्थान में तेजी से बढ़कर 58.90 लाख टन पर पहुंचा जो कुल घरेलू उत्पादन 111.66 लाख टन का 53 प्रतिशत था।
राजस्थान देश में उपरोक्त तीनों फसलों का सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त है। इसके अलावा वह मूंगफली के उत्पादन में दूसरे तथा सोयाबीन के उत्पादन में तीसरे नम्बर पर रहता है।
राजस्थान खरीफ कालीन ज्वार का भी सबसे बड़ा उत्पादक प्रान्त है। वैसे कुल मिलाकर ज्वार का सर्वाधिक उत्पादन महाराष्ट्र में होता है मगर वहां इसकी अधिकांश पैदावार रबी सीजन में होती है।
राजस्थान में ज्यादातर खेती खरीफ सीजन के दौरान की जाती है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 2022-23 के खरीफ सीजन में राष्ट्रीय स्तर पर कुल 14.87 लाख टन ज्वार का उत्पादन हुआ जिसमें राजस्थान की भागीदारी 5.67 लाख टन या 38 प्रतिशत की रही।
लेकिन सम्पूर्ण मार्केटिंग सीजन (खरीफ + रबी) के उत्पादन में राजस्थान का योगदान 14 प्रतिशत तक ही पहुंच सका। चालू माह के दौरान राजस्थान की मंडियों में मंडियों में मूंग का औसत मूल्य 8033 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया जो न्यूनतम समर्थन मूल्य 8558 रुपए से कम था।
इसी तरह बाजरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2500 रुपए प्रति क्विंटल तथा ज्वार का समर्थन मूल्य 3180 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित है। इसकी नई फसल की कटाई शुरू हो गई है।