iGrain India - कीव । काला सागर क्षेत्र में अवस्थित रूस के पड़ोसी देश- यूक्रेन में सूरजमुखी का उत्पादन गत वर्ष के मुकाबले 7 प्रतिशत बढ़कर इस बार 134 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान है लेकिन इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगने से उत्पादकों को केवल घरेलू व्यापारियों एवं क्रशिंग उद्योग पर निर्भर रहना पड़ेगा। केवल मोल्डोवा एवं बुल्गारिया को यूक्रेन से सूरजमुखी के निर्यात की अनुमति है लेकिन इन दोनों देशों के किसान भी इससे नाराज हैं।
कस्टम आंकड़ों से पता चलता है कि 2022-23 के सम्पूर्ण मार्केटिंग सीजन (सितम्बर-अगस्त) के दौरान यूक्रेन से करीब 6 लाख टन सूरजमुखी तेल का निर्यात हुआ जो 130 लाख टन सूरजमुखी सीड की क्रशिंग के समतुल्य है।
सूरजमुखी से तेल की औसत रिकवरी दर 42 प्रतिशत रहती है जिसका मतलब यह हुआ कि 1 किलो तेल के निर्माण के लिए 2.20 किलो सूरजमुखी की क्रशिंग की जरूरत पड़ती है।
इस तरह 2022- 23 के सीजन के दौरान यूक्रेन में 120-130 लाख टन सूरजमुखी की क्रशिंग होने का अनुमान है जबकि चालू मार्केटिंग सीजन (सितम्बर 2023-अगस्त 2024) के दौरान वहां 114 लाख टन सूरजमुखी की क्रशिंग होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
रूस के साथ यह जारी रहने के कारण यूक्रेन में क्रशिंग होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। रूस के साथ युद्ध जारी रहने के कारण यूक्रने में क्रशिंग क्षमता घट गई है।
पिछले सीजन में वहां से सूरजमुखी तेल का निर्बाध निर्यात होता रहा लेकिन अब इसमें अवरोध उत्पन्न होने लगा है क्योंकि रूस ने काला सागर क्षेत्र में स्थित यूक्रेनी बंदरगाहों से शिपमेंट को ब्लॉक कर दिया है।
यूक्रेन में, चालू सीजन के दौरान करीब 10 प्रतिशत क्षेत्र में सूरजमुखी फसल की कटाई 14 सितम्बर तक हुई और इससे 10.30 लाख टन का उत्पादन प्राप्त हुआ। आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ने तथा मांग कमजोर रहने से वहां सूरजमुखी का दाम घटकर काफी नीचे आ गया है।
कहीं-कहीं तो यह 240 डॉलर प्रति टन के निचले स्तर पर चल रहा है जिसमें वैट शामिल नहीं है। यह चर्चा भी हो रही है कि पड़ोसी देश बुल्गारिया को 390 डॉलर प्रति टन की दर से सूरजमुखी की बिक्री की जा रही है जिसमें शुल्क भी शामिल है।
कीमतों में भारी गिरावट आने का एक कारण यूरोपीय संघ के पांच सीमावर्ती देशों में यूक्रेन से पिछले कुछ महीनों से सूरजमुखी के आयात पर प्रतिबंध लागू होना है।
तुर्की सरकार ने भी सूरजमुखी सीड एवं सूरजमुखी तेल के लिए रिफ्रेंस मूल्य बढ़ने का फैसला किया है जिससे इसके आयात पर सीमा शुल्क बढ़ जाएगा।