iGrain India - नई दिल्ली । इसमें कोई संदेह नहीं कि पिछले कुछ दिनों के अंदर कनाडा सरकार के उकसाने वाले बयान तथा कार्य से भारत के साथ उसके रिश्तों में कुछ खटास आई है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों के बीच व्यापार तथा निवेश के करार पर इसका कोई गंभीर प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा। विशेषज्ञों के मुताबिक इन दैनिक घटनाओं का ज्यादा प्रभाव इसलिए नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि व्यापारिक रिश्तों की जड़ काफी गहरी है।
समझा जाता है कि भारत में कनाडा की करीब 600 कंपनियां काम कर रही हैं हजारों भारतीय कनाडा में रहते हैं। दोनों देशों के बीच आर्थिक सम्बन्ध काफी गहरे हैं और कनाडा की सरकार इसे बिगाड़ने की कोशिश नहीं करेंगी क्योंकि इससे भारत के साथ-साथ कनाडा को भी भारी नुकसान हो सकता है।
भारत में कनाडा से मसूर का आयात बड़े पैमाने पर होता है। पहले मटर का भी विशाल आयात होता था मगर पिछले चार-पांच वर्षों से इस पर अघोषित प्रतिबंध लगा हुआ है।
लेकिन कुछ विश्लेषकों का कहना है कि कनाडा की हरकतों से दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते के लिए चल रही बातचीत अब खटाई में पड़ सकती है क्योंकि खालिस्तान समर्थकों को खुश रखने के लिए कनाडा यदि भारत के खिलाफ आगे कोई अन्य अनर्गल बयान देता है अथवा भारतीय राजनीतिक को देश से बाहर निकालता है तो भारत सरकार भी बदले की कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगी। दोनों देशों की अपनी-अपनी विवशता है।
हाल के वर्षों के दौरान द्विपक्षीय व्यापार में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी हुई है। वित्त वर्ष 2022-23 में यह व्यापार बढ़कर 8.16 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
भारत से कनाडा को फार्मा उत्पादों, रत्न-आभूषण, कपड़ा एवं मशीनरी आदि का निर्यात किया जाता है जबकि भारत में कनाडा से दलहन, लकड़ी, पल्स एवं कागज तथा खनन उत्पाद आदि का आयात होता है।
कनाडियन पेंशन फंड्स द्वारा भारत में निवेश की प्रक्रिया जारी रखने की उम्मीद है क्योंकि एक तो यह विशाल बाजार है और दूसरे, यहां रिटर्न भी अच्छा मिल रहा है। इन फंडों द्वारा वर्ष 2022 के अंत तक 45 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया जा चुका था।