iGrain India - बंगलौर । दक्षिण भारत के एक महत्वपूर्ण कृषि उत्पादक राज्य- कर्नाटक में भयंकर सूखा पड़ने से करीब 42 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलों के क्षतिग्रस्त होने की आशंका है। राज्य सरकार ने अपने ज्ञापन में स्थिति को हरित सूखे की संज्ञा देते हुए कहा है कि किसान खेतों में खड़ी अपनी फसलों को काटने में सक्षम नहीं हो पाएंगे क्योंकि वे बर्बाद हो चुकी हैं।
खेतिहार प्रमुख खरीफ फसलों के साथ-साथ करीब 2 लाख हेक्टेयर में बागवानी फसलों को भी नुकसान हुआ है। कर्नाटक के राजस्व मंत्री के अनुसार राज्य सरकार शीघ्र ही केन्द्र को एक ज्ञापन सौंपेगी जिसमें सूखे की वजह से फसल को हुए नुकसान के लिए मुआवजे की मांग की जाएगी।
राजस्व मंत्री के अनुसार उपग्रह से प्राप्त चित्र में खेत्रों में फसलें तो खड़ी दिखाई पड़ती हैं लेकिन वे बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी है इसलिए किसान उसकी कटाई नहीं कर पाएंगे। राज्य सरकार ने सूखा प्रभावित क्षेत्रों में फसल को हुई क्षति का अध्ययन-आंकलन करने के लिए कृषि एवं बागवानी विश्व विद्यालयों के विशेषज्ञों को भेजा है और केन्द्र द्वारा भेजी गई टीम को भी इसके बारे में विस्तार से जानकारी दे दी है।
राजस्व मंत्री के मुताबिक कर्नाटक के कुल 236 तालुकों में से 195 को सूखा ग्रस्त क्षेत्र घोषित किया जा चुका है और राजस्व अधिकारीयों को इस सम्बन्ध में एक ज्ञापन तैयार करने का निर्देश दिया गया है जिसे शीघ्र ही केन्द्र के पास जमा किया जाएगा। इन 195 तालुकों में से 161 को भयंकर सूखाग्रस्त तथा 34 तालुकों को सूखा प्रभावित क्षेत्र घोषित किया गया है।
इसके अलावा 41 तालुकों में सर्वेक्षण का कार्य जारी है और वहां से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर उसे ऐसे सूखाग्रस्त क्षेत्र की सूची में शामिल किया जा सकता है जो केन्द्र के सूखा पैमाने पर खरा उतरता हो।
मंत्री महोदय के अनुसार कर्नाटक देश में सूखाग्रस्त तालुकों की सूची की घोषणा करने वाला पहला राज्य है। राज्य सरकार द्वारा सूखा ग्रस्त क्षेत्रों का सर्वेक्षण पहले ही आरंभ कर दिया गया था। फिलहाल वहां पेयजल का कोई संकट नहीं है।