iGrain India - नई दिल्ली । चालू खरीफ सीजन के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर दलहन फसलों के बिजाई क्षेत्र में पिछले साल के मुकाबले 5.6 प्रतिशत की गिरावट आ गई और मौसम तथा मानसून की हालत भी इसके लिए पूरी तरह अनुकूल नहीं है।
इसके फलस्वरूप दलहनों की पैदावार में गिरावट आने की संभावना है। पहले से ही देश में दलहनों की कमी महसूस हो रही है और कीमतों में तेजी-मजबूती का माहौल बना हुआ है जबकि उत्पादन में गिरावट आने पर बाजार भाव और भी तेज हो जाए तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी। हाल की बारिश से अरहर की फसल को कुछ फायदा हो सकता है लेकिन उड़द एवं मूंग के बारे में ऐसा कहना मुश्किल है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार चालू खरीफ सीजन के दौरान दलहन फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र 121 लाख हेक्टेयर तक ही पहुंच सका जबकि पिछले साल 127.57 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया था।
इसके तहत सबसे प्रमुख दलहन-अरहर (तुवर) का बिजाई क्षेत्र 5.66 प्रतिशत घटकर 43.21 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया जबकि उड़द एवं मूंग के क्षेत्रफल में क्रमश: 2.2 प्रतिशत तथा 7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
मध्य प्रदेश के किसानों का कहना है कि जब उड़द की फसल को वर्षा की सख्त जरूरत थी तब मानसून गायब हो गया और तापमान थी बढ़ गया। इससे फसल को क्षति हुई।
अब इसकी कटाई-तैयारी आरंभ होने के समय बारिश होने लगी है जिससे खासकर उड़द के दाने की क्वालिटी प्रभावित हो सकती है। इसी तरह मूंगफली की फसल भी इस वर्षा से खराब हो सकती है और दलहन उत्पादकों के मंडियों में कम दाम पर अपना उत्पाद बेचने के लिए विवश होना पड़ सकता है।
तुवर की फसल लम्बी अवधि की होती है इसलिए इसे आगामी महीनों का मौसम प्रभावित कर सकता है। आई ग्रेन इंडिया के जिंस विश्लेषक राहुल चौहान का कहना है कि अगस्त के सूखे से दलहन फसलों का विकास रुख गया था।