iGrain India - नई दिल्ली । इस बार खरीफ कालीन दलहन फसलें राम भरोसे चल रही हैं। एक तो तुवर, उड़द एवं मूंग के बिजाई क्षेत्र में कमी आई और फिर भी अगस्त में वर्षा के अभाव एवं ऊंचे तापमान से फसलों को नुकसान हुआ।
अब अगैती बिजाई वाली उड़द एवं मूंग की फसल की कटाई-तैयारी का समय आने पर बारिश होने लगी जिससे खासकर इसके दाने की क्वालिटी खराब और दागी होने की आशंका बढ़ गई है।
किसानों को इसका ऊंचा मूल्य नहीं मिल पाएगा। आई ग्रेन इंडिया के डायरेक्टर एवं कॉमोडिटी विश्लेषक राहुल चौहान का कहना है कि अगस्त में वर्षा की कमी से दलहन फसलों की प्रगति में बाधा पड़ी जबकि अब बारिश होने से अरहर (तुवर) की फसल को तो कुछ राहत मिल सकती है मगर उड़द एवं मूंग की जो फसल कट रही है या जल्दी ही कटने वाली है उसको नुकसान हो सकता है।
राहुल चौहान के अनुसार सितम्बर की वर्षा से मूंग एवं उड़द के दाने के दागी होने की आशंका बढ़ गई है। खरीफ कालीन दलहन फसलों के बिजाई क्षेत्र के दागी होने की आशंका बढ़ गई है।
खरीफ कालीन दलहन फसलों के बिजाई क्षेत्र में 5 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट आई है और सही समय पर अच्छी वर्षा नहीं होने से फसलों को नुकसान भी हुआ है इसलिए हाल की वर्षा से पिछैती फसल को फायदा होने के बावजूद दलहनों का कुल उत्पादन कम रहने की संभावना है।
ऐसी स्थिति में यदि दाने दागी होते हैं तो किसानों को भारी घाटा हो सकता है। वैसे महाराष्ट्र के विदर्भ संभाग में पहले वर्षा का भारी अभाव महसूस किया जा रहा था मगर अब बारिश होने से दलहनों की हालत सुधरने की उम्मीद है।
लेकिन कर्नाटक में स्थिति चिंताजनक बताई जा रही है। राज्य का अधिकांश भाग पहले ही सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित किया जा चुका है जबकि शेष इलाकों में भी सर्वेक्षण का कार्य जारी है जबकि वह तुवर एवं मूंग का महत्वपूर्ण उत्पादक राज्य है।
तमाम विश्लेषक मानते हैं कि विभिन्न राज्यों में अगस्त के सूखे से दलहन फसलों को हुए नुकसान की भरपाई संभव नहीं है जबकि आगे फसल को क्षति होने की कम आशंका है।