iGrain India - नई दिल्ली । दक्षिण-पश्चिम मानसून की अनियमित एवं अनिश्चित वर्षा के कारण पिछले साल के मुकाबले चालू खरीफ सीजन के दौरान देश में दलहन, तिलहन एवं कपास की फसल के बिजाई क्षेत्र में गिरावट आई है जबकि धान, गन्ना और मोटे अनाजों का रकबा बढ़ा है।
विश्लेषकों का मानना है कि बाजार भाव पर निकट भविष्य में इसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ सकता है। वैसे तिलहन-तेल का एक दूसरा समीकरण भी है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों का भाव काफी घट जाने से भारत में इसका रिकॉर्ड आयात हो रहा है जिसके दबाव से स्वदेशी खाद्य तेल भी ठंडा पड़ गया है। देश में अभी खाद्य तेलों का विशाल स्टॉक मौजूद है जबकि विदेशों से नियमित आयात भी हो रहा है।
लेकिन दलहनों का मामला इससे अलग है। इसका न तो घरेलू स्टॉक लम्बा- चौड़ा है और न ही विदेशों से प्रचुर मात्रा में आयात हो रहा है। अब कनाडा से विवाद बढ़ने के कारण मसूर के आयात पर संशय बढ़ सकता है।
दलहनों का कुल उत्पादन क्षेत्र 121 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया है जो पिछले साल के बिजाई क्षेत्र 127.57 लाख हेक्टेयर से करीब 6.50 लाख हेक्टेयर कम है। मौसम एवं मानसून की हालत अनुकूल नहीं होने से इसकी फसल को नुकसान हुआ है और औसत उपज दर में गिरावट की संभावना है वैसे भी तुवर का नया माल आने में अभी लम्बा समय बाकी है जबकि उड़द एवं मूंग की नई फसल तैयार होने लगी है।
जहां तक कपास का सवाल है तो इसका बिजाई क्षेत्र गत वर्ष के 127.29 लाख हेक्टेयर से घटकर इस बार 123.22 लाख हेक्टेयर रह गया है। इसी तरह खरीफ कालीन तिलहन फसलों का रकबा 194.33 लाख हेक्टेयर से गिरकर 192.20 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया है।