iGrain India - मैसूर । देश के दक्षिणी राज्य- कर्नाटक में बारिश का भारी अभाव होने से धान, तुवर, मूंग, मूंगफली, सूरजमुखी, सोयाबीन, कपास एवं गन्ना सहित अन्य खरीफ फसलों तथा बागानी एवं बागवानी फसलों को काफी क्षति पहुंच रही है।
उम्मीद की जा रही थी कि अगस्त के भयंकर सूखे के बाद सितम्बर में वहां मानसून की अच्छी वर्षा होगी जिससे खरीफ फसलों को काफी राहत मिलेगी लेकिन चालू माह के दौरान केवल सीमित इलाकों में ही थोड़ी-बहुत बारिश हो सकी। उधर कावेरी जल विवाद के कारण सिंचाई के लिए पानी मुहैया करना मुश्किल हो गया है।
बारिश की कमी से कावेरी नदी का जल स्तर घट गया है जबकि कर्नाटक सरकार को तत्काल तमिलनाडु के लिए इससे पानी छोड़ने के लिए कहा गया है।
कर्नाटक के राजस्व मंत्री का दावा है कि राज्य में वर्षा के अभाव एवं ऊंचे तापमान के कारण 42 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में खरीफ एवं बागवानी फसलें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं। खेतों में फसलें खड़ी तो हैं मगर उसमें फूल एवं दाने नहीं लग रहे हैं इसलिए इसे "हरित सूखे" का नाम दिया गया है।
व्यापक एवं गहन सर्वेक्षण के बाद राज्य के कुल 236 तालुकों में से 195 को सूखा ग्रस्त क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। इसमें से 161 तालुकों को अत्यन्त भयंकर सूखा ग्रस्त क्षेत्र तथा 34 तालुकों को सामान्य सूखाग्रस्त क्षेत्र की श्रेणी में रखा गया है। शेष बचे 41 तालुकों का भी सर्वेक्षण चल रहा है और शीघ्र ही उसके बारे में निर्णय लिया जाएगा।
कर्नाटक तुवर का प्रमुख उत्पादक राज्य माना जाता है। चालू खरीफ सीजन के दौरान वहां न केवल इस महत्वपूर्ण दलहन के बिजाई क्षेत्र में कमी आई है बल्कि मौसम एवं मानसून भी फसल के लिए अनुकूल नहीं है जिससे इसके उत्पादन में काफी गिरावट आने की आशंका व्यक्त की जा रही है। यह देश के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।
घरेलू प्रभाग में पहले से ही तुवर का अभाव बना हुआ है और म्यांमार तथा अफ्रीकी देशों से इसका आयात भी सीमित मात्रा में हो रहा है। इसके फलस्वरूप स्टॉक सीमा लागू होने के बावजूद तुवर के दाम में तेजी-मजबूती का माहौल बरकरार है और निकट भविष्य में त्यौहारी मांग को देखते हुए इसकी कीमतों में ज्यादा नरमी आना मुश्किल लगता है क्योंकि आयात भी महंगा बैठ रहा है।