iGrain India - इंदौर । सितम्बर की बारिश से सोयाबीन की फसल को राहत मिली है। इंदौर स्थित संस्था- सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) ने कहा है कि अगस्त के सूखे से फसल को जो नुकसान होना था वह तो हो गया लेकिन अब आगे इसे और क्षति होने की संभावना नहीं है।
आमतौर पर फसल की हालत सामान्य है लेकिन इसके नए माल की आवक शुरू होने में 10-15 दिनों की देर हो सकती है। उधर विदेशों से विशाल मात्रा में पाम तेल एवं सूरजमुखी तेल के साथ सस्ते सोयाबीन तेल का आयात हो रहा है जिससे घरेलू बाजार में इसका प्रवाह काफी बढ़ गया है और कीमतों पर दबाव बना हुआ है। सोया रिफाइंड तेल का दाम घटकर 100 रुपए प्रति किलो से नीचे आ चुका है।
विदेशों से आयातित क्रूड सोया तेल भी सस्ते मूल्य पर उपलब्ध हो रहा है। हालांकि देश में अभी त्यौहारी सीजन चल रहा है लेकिन अन्य खाद्य तेलों के साथ सोया तेल का दाम भी स्थिर या नरम बना हुआ है। इसके फलस्वरूप सोयाबीन की कीमतों में तेजी-मजबूती का अभाव है।
सोयाबीन के प्रमुख उत्पादक राज्यों में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं राजस्थान शामिल हैं। इसके अलावा कर्नाटक, गुजरात, तेलंगाना एवं छत्तीसगढ़ सहित कुछ अन्य प्रांतों में भी इसकी खेती होती है।
पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र कुछ बढ़कर 125 लाख हेक्टेयर से ऊपर पहुंच गया है। सितम्बर में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश एवं गुजरात जैसे राज्यों में अच्छी बारिश हुई है जिससे सोयाबीन की फसल को नया जीवन दान मिल गया है।
उत्पादकों एवं स्टॉकिस्टों की नियमित बिकवाली जारी रहने तथा क्रशिंग प्लांटों की खरीदारी धीमी होने से मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र की मंडियों में सोयाबीन का भाव गिरकर 5000/5100 रुपए प्रति क्विंटल तथा लूज में 4700/4800 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया है।
महाराष्ट्र की सांगली लाइन में सोयाबीन के नए माल की आपूर्ति आरंभ हो गई है और वहां इसका भाव 4800/4900 रुपए प्रति क्विंटल बताया जा रहा है। अगले महीने से आवक की गति तेज होगी।
पिछला स्टॉक भी मौजूद है और विदेशों से सस्ते सोया तेल का भारी आयात हो रहा है। इसके फलस्वरूप सोयाबीन का बाजार भाव सीमित उतार-चढ़ाव के साथ स्थिर रह सकता है।