iGrain India - नई दिल्ली । भारत और कनाडा के बीच राजनयिक तनाव बढ़ता ही जा रहा है जिससे कनाडा से भारत में मसूर के आयात पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका है। मालूम हो कि उत्तरी अमरीका महाद्वीप में स्थित कनाडा भारत को मसूर की आपूर्ति करने वाला प्रमुख देश है।
व्यापारियों का कहना है कि भविष्यत करार (अनुबंध) के प्रति वे आश्वस्त नहीं हैं इसलिए अब ऑस्ट्रेलिया की तरफ जाने का प्लान बना रहे हैं। कनाडा के अलावा ऑस्ट्रेलिया ऐसा एकमात्र देश है जो न केवल भारतीय किस्म की मसूर का उत्पादन करता है बल्कि बड़े पैमाने पर इसका निर्यात भी करता है। भारत के आयातक इस वैकल्पिक आपूर्तिकर्ता देश में मसूर की खरीद के लिए पहले से ही काफी सक्रिय हैं।
भारत को वर्तमान समय में लगभग 24-25 लाख टन दलहनों के वार्षिक आयात की जरूरत पड़ती है जिसमें मसूर भी शामिल है। उल्लेखनीय है कि 2015-16 के वित्त वर्ष में भारत में दलहनों का आयात उछलकर 58 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था लेकिन पिछले सात साल के दौरान घरेलू उत्पादन बेहतर होने से दलहन के आयात पर निर्भरता में 50 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आ गई है।
भारत में दुनिया के अनेक देशों से दलहनों का आयात किया जाता है जिसमें म्यांमार, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया एवं अफ्रीकी देश शामिल हैं। कभी-कभी रूस से भी मसूर का आयात होता है।
चालू वर्ष के दौरान भारत में मसूर का आयात बढ़ने की संभावना है क्योंकि तुवर-उड़द का घरेलू उत्पादन घटने की आशंका है और चना तथा मटर पर भारी-भरकम आयात शुल्क लगा हुआ है।
दूसरी ओर मसूर के आयात को 31 मार्च 2024 तक शुल्क मुक्त कर दिया गया है। पहले अमरीकी मसूर पर सीमा शुल्क लागू था मगर उसे भी वापस ले लिया गया है।
ऑस्ट्रेलिया में मसूर का उत्पादन 2022-23 सीजन के रिकॉर्ड स्तर से कम होने की संभावना है फिर भी यह अब तक का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादन हो सकता है। यदि कनाडा से आयात बंद हुआ (फिलहाल इसके कोई संकेत नहीं हैं) तो ऑस्ट्रेलिया से विशाल मात्रा में मसूर मंगाने का विकल्प भारत के पास मौजूद है।