iGrain India - मुम्बई । महाराष्ट्र सरकार ने स्थानीय चीनी मिलों को कच्चे माल की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अन्य प्रांतों को गन्ना की बिक्री पर रोक लगाने का फैसला किया था मगर किसानों के जबरदस्त प्रतिरोध को देखते हुए उसके इस प्रतिबंध को वापस लेने का निर्णय लिया है।
दरअसल महाराष्ट्र में इस वर्ष गन्ना फसल की हालत उत्साहवर्धक नहीं है और गुड़ खांडसारी इकाइयों की संख्या भी बढ़ती जा रही है जिससे चीनी मिलों को पर्याप्त मात्रा में कच्चा माल (गन्ना) प्राप्त करने में भारी कठिनाई होने की आशंका है।
उधर पड़ोसी राज्य- कर्नाटक में भी फसल की हालत कमजोर है। महाराष्ट्र सरकार को आशंका है कि चीनी का भाव ऊंचा होने से कर्नाटक तथा अन्य पड़ोसी राज्यों के मिलर्स महाराष्ट्र के किसानों से ऊंचे दाम पर गन्ना की खरीद का प्रयास कर सकते हैं जिससे स्थानीय मिलों को अपनी क्रशिंग क्षमता का भरपूर उपयोग करने का अवसर नहीं मिल पाएगा। इसी आधार पर सरकार ने महाराष्ट्र के किसानों को दूसरे राज्यों में गन्ना की बिक्री करने से रोकने का प्रयास किया था।
लेकिन किसान संगठनों ने इस आदेश को वापस लेने की मांग करते हुए चेतावनी दी थी कि अगर यह निर्णय वापस नहीं लिया गया तो वे राज्य व्यापी घटना-प्रदर्शन आयोजित करेंगे।
महाराष्ट्र सरकार गन्ना उत्पादकों को नाराज नहीं करना चाहती है इसलिए उसने अपने आदेश को वापस लेने की घोषणा कर दी। किसानों ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि महाराष्ट्र के गन्ना उत्पादक अपने माल को कहीं भी बेचने के लिए स्वतंत्र हैं। जो भी मिलें ऊंचा मूल्य देंगी उसे गन्ना बेचने की आजादी है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि अगस्त के सूखे ने महाराष्ट्र में गन्ना की फसल को बेहाल कर दिया और उसकी औसत उपज दर तथा चीनी की रिकवरी दर में गिरावट आने की आशंका है।
चीनी मिलों के निदेशकों का कहना है कि इस बार महाराष्ट्र में केवल 90 दिनों की क्रशिंग के लिए ही गन्ना का स्टॉक उपलब्ध रह सकता है जिससे चीनी के उत्पादन में गिरावट आने की संभावना बढ़ जाएगी। आमतौर पर महाराष्ट्र में चार-पांच महीनों तक गन्ना की क्रशिंग होती है। यदि अन्य राज्यों को गन्ना की बिक्री हुई तो मामला और भी गंभीर हो सकता है।
देश में गन्ना एवं चीनी के तीन शीर्ष उत्पादक राज्यों में उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र तथा कर्नाटक शामिल हैं। देश में 80 प्रतिशत से अधिक गन्ना का उत्पादन इन राज्यों में होता है। इस बार उत्तर प्रदेश में गन्ना का क्षेत्रफल बढ़ा है और फसल की हालत भी लगभग सामान्य है मगर महाराष्ट्र और कर्नाटक में स्थिति संतोषजनक नहीं मानी जा रही है।