iGrain India - नई दिल्ली । अगस्त माह में वर्षा की भारी कमी एवं बढ़ती गर्मी के कारण सोयाबीन की फसल को कई क्षेत्रों में काफी नुकसान हुआ जिसे देखते हुए उद्योग-व्यापार क्षेत्र के विश्लेषकों ने 2023-24 सीजन के दौरान इस महत्वपूर्ण तिलहन फसल का घरेलू उत्पादन सरकारी अनुमान से काफी कम होने की संभावना व्यक्त की है।
ज्ञात हो कि गत वर्ष के मुकाबले इस बार सोयाबीन का क्षेत्रफल बढ़ा है। समीक्षकों के मुताबिक सोयाबीन का उत्पादन 2022-23 सीजन के अनुमानित स्तर 131 लाख टन से घटकर 2023-24 के सीजन में 121 लाख टन पर सिमट सकता है।
समीक्षकों का कहना है कि अगस्त में पिछले 100 वर्षों में सबसे कम बारिश हुई जबकि आमतौर पर इसमें जुलाई के बाद सर्वाधिक वर्षा होने की परिपाटी रही है।
उधर केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने अपने तीसरे अग्रिम अनुमान में सोयाबीन का घरेलू उत्पादन 2022-23 के 129.80 लाख टन से उछलकर 2023-24 के सीजन में 149.70 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की संभावना वक्त की थी। चालू माह के अंत तक कृषि मंत्रालय का चौथा और अंतिम अनुमान जारी होने की संभावना है।
एक विश्लेषक के मुताबिक सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य- मध्य प्रदेश में वर्षा की कमी से खेतों की मिटटी में नमी का अभाव होने के कारण सोयाबीन फसल को काफी क्षति होने की आशंका है।
इसी तरह महाराष्ट्र के कुछ भागों में भी बारिश की कमी एवं गर्मी से फसल प्रभावित हुई है। उल्लेखनीय है कि देश में सोयाबीन के कुल वार्षिक उत्पादन में मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र का संयुक्त योगदान 83 प्रतिशत के करीब रहता है।
इसके बाद राजस्थान, कर्नाटक, गुजरात, तेलंगाना एवं छत्तीसगढ़ का नम्बर आता है। जून-अगस्त की तिमाही के दौरान इन दोनों राज्यों- मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र को कम वर्षा वाला प्रान्त माना गया।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 125.50 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। लेकिन मध्य प्रदेश में इसका रकबा 53.87 लाख हेक्टेयर से फिसलकर इस बार 53.35 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया।