iGrain India - कोयंबटूर । एक अग्रणी संस्था- इंडियन कॉटन फेडेरशन (आईसीएफ) ने 2023-24 के नए मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के दौरान देश में 330 से 340 लाख गांठ (170 किलो की प्रत्येक गांठ) कपास का उत्पादन होने का अनुमान लगाया है।
फेडरेशन की वार्षिक आम बैठक को सम्बोधित करते हुए अध्यक्ष महोदय ने कहा कि चालू वर्ष के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर कपास का बिजाई क्षेत्र 127 लाख हेक्टेयर से ऊपर पहुंच गया है।
2022-23 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन के दौरान घरेलू मंडियों में करीब 335 लाख गांठ कपास की आवक हो चुकी है और अब भी बाजार में रोजाना 15-20 हजार गांठ की आपूर्ति हो रही है जबकि मार्केटिगं सीजन समाप्त होने में कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं।
30 सितम्बर 2023 को मौजूदा मार्केटिंग सीजन समाप्त हो जाएगा। अभी जो रूई घरेलू मंडियों में आ रही है उसमें इसका नया माल भी शामिल है जो कर्नाटक तथा पंजाब आदि में आ रहा है।
1 अक्टूबर 2023 से आरंभ होने वाले नए मार्केटिगं सीजन में भी घरेलू मंडियों में कपास की अच्छी आपूर्ति का सिलसिला जारी रहने की संभावना है। केन्द्र सरकार ने कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 10 प्रतिशत का इजाफा कर दिया है जबकि थोक मंडी भाव इससे भी ऊपर चल रहा है।
2022-23 के सीजन के दौरान वस्त्र उद्योग में रूई की मांग कुछ कमजोर रही और अधिकांश टेक्सटाइल इकाइयों सम्पूर्ण संचित क्षमता का पूरा उपयोग करने का अवसर नहीं मिल सका।
फेडरेशन के उपाध्यक्ष का कहना था कि एक्स्ट्रा लौंग स्टेपल कॉटन का आयात इस बार प्रभावित हुआ क्योंकि इस पर 11 प्रतिशत का सीमा शुल्क लागू है। वैसे ऑस्ट्रेलिया एवं साउथ अफ्रीका जैसे देशों से इसके आयात में आंशिक राहत दी गई।
भारत में बेहतर कृषि पद्धति अपनाते हुए कपास की उपज दर बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। वैश्विक आर्थिक मंडी के कारण पहले भारत से कॉटन यार्न एवं तैयार वस्त्र उत्पादों का निर्यात प्रदर्शन कमजोर पड़ गया था लेकिन अब इसमें सुधार आने लगा है। यदि रूई का जोरदार निर्यात नहीं हुआ तो घरेलू बाजार में इसका भाव काफी हद तक एक निश्चित सीमा में स्थिर रह सकता है।