iGrain India - नई दिल्ली । अन्य खरीफ फसलों की भांति ग्वार की फसल को भी अगस्त के सूखे ने आंशिक रूप से प्रभावित किया जिससे इसके उत्पादन में काफी गिरावट आने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
यद्यपि चालू माह के दौरान उत्पादक क्षेत्रों में कुछ बारिश हुई है लेकिन इससे फसल को विशेष लाभ होने की उम्मीद नहीं है। कुछ क्षेत्रों में ग्वार के नए माल की आवक शुरू हो गई है।
उद्योग-व्यापार समीक्षकों के अनुसार 2022-23 सीजन के दौरान ग्वार का उत्पादन बढ़कर 85 लाख बोरी के करीब पहुंच गया था लेकिन 2023-24 के मौजूदा सीजन में यह घटकर 50-60 लाख बोरी के बीच सिमटने की संभावना है।
मालूम हो कि देश में ग्वार का उत्पादन तीन प्रांतों- राजस्थान, हरियाणा एवं गुजरात में मुख्य रूप से होता है। राजस्थान इसका सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त है जहां 70 प्रतिशत से अधिक ग्वार का उत्पादन होता है। इस बार राजस्थान एवं गुजरात में उत्पादन कमजोर रहने तथा हरियाणा में सामान्य होने की संभावना है।
विश्लेषकों के अनुसार वर्तमान समय में घरेलू प्रभाग में ग्वार चूरी एवं कोरमा की अच्छी मांग बनी हुई है। उधर अमरीका सहित कई अन्य देशों में ग्वार गम की मांग मजबूत रहने की उम्मीद की जा रही है।
भारत वस्तुत: दुनिया में ग्वार का सबसे प्रमुख उत्पादक एवं ग्वार गम का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। भारत के अलावा सिर्फ मैक्सिको में ही थोड़ी-बहुत मात्रा में ग्वार का उत्पादन होता है। ग्वार गम के वैश्विक निर्यात बाजार पर भारत का लगभग एकाधिकार बना हुआ है और सिर्फ सिंथेटिक गम से ही इसे थोड़ी-बहुत चुनौती मिल रही है। लेकिन उससे ज्यादा खतरा नहीं है।
जहां तक कीमतों का सवाल है तो आमतौर पर इसका स्तर ऊंचा एवं मजबूत रहने की संभावना व्यक्त की जा रही है। उद्योग-व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक उत्पादन में गिरावट आने की आशंका को देखते हुए ग्वार का घरेलू बाजार भाव नीचे में 5500-5600 रुपए प्रति क्विंटल पर आ सकता है जबकि ऊपर में यह 6500/7000 रुपए प्रति क्विंटल और कभी-कभार 8000 रुपए प्रति क्विंटल तक भी पहुंच सकता है।
लेकिन उस ऊंचे मूल्य स्तर पर मांग कुछ कमजोर पड़ सकती है इसलिए उसे फिलहाल स्थायी नहीं माना जा रहा है। यदि वायदा में सटोरियों ने रंग दिखाया तो ग्वार के दाम में तेजी का रुख बरकरार रह सकता है।