iGrain India - चंडीगढ़ । चालू वर्ष के दौरान पहले पंजाब के भटिंडा एवं मनसा सहित कुछ अन्य जिलों में कपास की फसल पर गुलाबी इल्ली (पिंक बॉलवर्म) कीट का प्रकोप फैलने के संकेत मिल रहे थे और अबोहर-फाजिल्का में इससे फसल को नुकसान भी हुआ था जबकि अब हरियाणा के कुछ जिलों में इस कीट के हमले से कपास की फसल प्रभावित हो रही है।
मोटे अनुमान के अनुसार इस कीट के आघात से हरियाणा में करीब 30 प्रतिशत कपास की फसल क्षतिग्रस्त हो चुकी है। मालूम हो कि पंजाब के मालवा संभाग में आठ जिलों तथा हरियाणा में क्लस्टर-2 के साथ जिलों में कपास की खेती होती है जिसमें हिसार, सिरसा, फतेहाबाद, भिवानी, जीन्द, अम्बाला, करनाल, सोनीपत एवं गुरुग्राम आदि शामिल है।
ज्ञात हो कि हरियाणा में करीब 70 प्रतिशत कपास का उत्पादन हिसार, फतेहाबाद, भिवानी एवं सिरसा जिलों में होता है। वैसे इस बार कपास का बिजाई क्षेत्र लगभग सामान्य रहा मगर कीड़ों-रोगों के प्रकोप से फसल को काफी हानि हुई है।
इसके अलावा कहीं-कहीं भारी वर्षा एवं बाढ़ से भी फसल को नुकसान हुआ था। पंजाब में कपास का उत्पादन क्षेत्र एक बार फिर घट गया और आमतौर पर फसल की हालत संतोषजनक बताई जाती है मगर जहां पिंक बॉलवर्म कीट का ज्यादा प्रकोप रहा वहां उत्पादन कम होने की संभावना है।
पंजाब की मंडियों में कपास के नए माल की आवक शुरू हो चुकी है और इसका भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊंचा चल रहा है। उधर दक्षिण राज्य- कर्नाटक में भी कपास की नई फसल तैयार होकर मंडियों में आने लगी है।
हरियाणा में प्रथम चरण की तुड़ाई-तैयारी आरंभ होने वाली है। राजस्थान में भी अगैती बिजाई वाली फसल की आवक जल्दी ही शुरू होने वाली है।
राष्ट्रीय स्तर पर कपास का उत्पादन क्षेत्र पिछले साल के 127.57 लाख हेक्टेयर से 4.15 लाख हेक्टेयर घटकर इस बार 123.42 लाख हेक्टेयर रह गया है जो सामान्य औसत क्षेत्रफल 128.67 लाख हेक्टेयर से भी 5.25 लाख हेक्टेयर कम है। इसके फलस्वरूप कपास के घरेलू उत्पादन में एक बार फिर गिरावट आने की आशंका व्यक्त की जा रही है।