iGrain India - कोच्चि । देश के दक्षिणी राज्यों और खासकर केरल तथा कर्नाटक में इस वर्ष मानसूनी वर्षा का अभाव होने से कालीमिर्च, हरी (छोटी) इलायची एवं जायफल, जावित्री का उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है।
इसी तरह तमिलनाडु एवं आंध्र प्रदेश में भी बारिश सामान्य औसत से कम हुई है। इससे पूर्व वहां ग्रीष्मकालीन या मानसून से पहले की वर्षा भी कम हुई थी।
मार्च-मई के दौरान होने वाली यह वर्षा मसाला फसलों के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। बारिश की कमी से सुपारी एवं नारियल का उत्पादन भी आंशिक रूप से प्रभावित होने की संभावना है।
उल्लेखनीय है कि देश में करीब 55 प्रतिशत कालीमिर्च का उत्पादन कर्नाटक में होता है जबकि 40 प्रतिशत का योगदान सेन्ट्रल का तथा 5 प्रतिशत का योगदान तमिलनाडु का रहता है। इन तीनों ही प्रांतों में इस बार वर्षा की कमी महसूस की जा रही है।
व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक कालीमिर्च का घरेलू उत्पादन पिछले साल के 62 हजार टन से घटकर इस बार 50 हजार टन के आसपास सिमट जाने की संभावना है जबकि इसके दाने का आकार भी कुछ छोटा रह सकता है। इसके फलस्वरूप विदेशों और खासकर श्रीलंका तथा वियतनाम से कालीमिर्च का आयात बढ़ सकता है।
छोटी इलायची की फसल भी कमजोर बताई जा रही है क्योंकि केरल में इस बार वर्षा बहुत कम हुई है। इसके नए माल की आवक आरंभ हो चुकी है। अभी त्यौहारी सीजन की मांग बनी हुई है और नीलामी केन्द्रों में आवक भी अच्छी हो रही है।
इसके फलस्वरूप कीमतों में लगभग स्थिर बनी हुई है मगर आगे धारणा मजबूती की है। ग्वाटेमाला में भी आगामी महीनों के दौरान इलायची के नए माल की आपूर्ति होने लगेगी। भारतीय इलायची की क्वालिटी बहुत अच्छी होती है इसलिए इसका दाम भी ग्वाटेमाला से ऊंचा रहता है।
कालीमिर्च के नए माल की तुड़ाई-तैयारी नवम्बर-दिसम्बर से आरंभ होती है और जनवरी-फरवरी में यह जोर पकड़ लेती है। आमतौर पर वियतनाम में भी फरवरी से नई कालीमिर्च की आवक होने लगती है।
वहां इस वर्ष बारिश सामान्य हुई है मगर थाईलैंड एवं इंडोनेशिया तथा मलेशिया में कम होने की सूचना है। उधर ब्राजील में कालीमिर्च का उत्पादन बढ़ने की संभावना है। कालीमिर्च के उत्पादन एवं निर्यात में वियतनाम संसार का सबसे अग्रणी देश है।