iGrain India - पुणे । देश के अग्रणी चीनी उत्पादक राज्य- महाराष्ट्र में इस वर्ष गन्ना की क्रशिंग कुछ देर से शुरू हो सकती है क्योंकि अगस्त के सूखे से फसल के विकास में बाधा पड़ी थी और इसलिए उसे परिपक्व होने में कुछ ज्यादा समय लगेगा।
महाराष्ट्र के चीनी आयुक्त ने भी चीनी मिलों को गन्ना की क्रशिंग में जल्दबाजी नहीं दिखाने के लिए कहा है क्योंकि अपरिपक्व फसल की क्रशिंग से चीनी की औसत रिकवरी दर में कमी आ सकती है।
महाराष्ट्र का चीनी उद्योग इस बार भारी असमंजस में फंसा हुआ है। किसानों के दबाव में आकर सरकार ने राज्य से बाहर गन्ना भेजने पर रोक लगाने का आदेश वापस ले लिया है।
इसका मतलब यह हुआ कि महाराष्ट्र के किसानों को यदि पड़ोसी राज्यों के चीनी मिलर्स ऊंचे दाम का प्रलोभन देंगे तो वे उसे अपना गन्ना बेच सकते हैं। इस बार कम बारिश के कारण राज्य में गन्ना की औसत उपज दर एवं कुल पैदावार घटने की संभावना है।
इसके अलावा वहां गुड़-खांडसारी इकाइयों की संख्या बढ़ रही है जिससे चीनी के लिए गन्ना की उपलब्धता और भी घट सकती है।
चीनी मिलों को एथनॉल उत्पादन के लिए गन्ना का उपयोग करना होगा। कुल मिलाकर परिदृश्य ऐसा बन रहा है कि महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन 2023-24 के मार्केटिंग सीजन में घट सकता है।
2022-23 के सीजन में वहां 105 लाख टन से कुछ अधिक चीनी का उत्पादन हुआ जो 2021-22 सीजन के रिकॉर्ड उत्पादन 137 लाख टन से 32 लाख टन कम रहा। इस बार उत्पादन घटकर यदि 100 लाख टन से भी नीचे आ जाए तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी।
ध्यान देने वाली बात है कि चीनी का भाव सरकार द्वारा निर्धारित 3100 रुपए प्रति क्विंटल के एक्स-फैक्टरी न्यूनतम बिक्री मूल्य से काफी ऊंचा चल रहा है जिससे मिलों को अच्छी आमदनी प्राप्त हो रही है।
सख्त सरकारी नियमों के बावजूद चीनी बाजार में नरमी आने के संकेत नहीं मिल रहे हैं इसलिए कर्नाटक सहित कुछ अन्य पड़ोसी राज्यों के मिलर्स महाराष्ट्र के किसानों से ऊंचे दाम पर गन्ना की खरीद का प्रयास कर सकते हैं। कर्नाटक में भी वर्षा कम होने से गन्ना की फसल प्रभावित हुई है।