iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा है कि सरकार फसल उत्पादन का बेहतर ढंग से अनुमान लगाने के लिए देश भर में एग्रीकल्चरल सिस्टम में फील्ड सत्यापन एवं रिमोट सेंसिंग स्थापित करेगी।
चालू वर्ष के दौरान गेहूं के उत्पादन के सम्बन्ध में सरकारी एवं व्यापारिक अनुमान में 100 लाख टन का विशाल अंतर सामने आने के बाद यह निर्णय लिया गया है।
2022-23 के रबी सीजन हेतु सरकार द्वारा गेहूं के उत्पादन का गैर वास्तविक या जरुरत से ज्यादा ऊंचा अनुमान लगाया गया जिसके लिए उसकी आलोचना भी हुई।
उल्लेखनीय है कि समीक्षाधीन सीजन के लिए केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने 1127 लाख टन गेहूं के उत्पादन का अनुमान लगाया है जबकि उद्योग- व्यापार क्षेत्र ने महज 1010 से 1030 लाख टन के बीच उत्पादन की संभावना व्यक्त की है।
खाद्य सचिव के अनुसार उत्पादन अनुमान के सम्बन्ध में से इससे सहमत हूं कि कृषि मंत्रालय एवं व्यापारिक आंकड़ों में भारी अंतर है। सरकार 1120 लाख टन से ऊपर का उत्पादन आंकड़ा दे रही है जबकि उद्योग-व्यापार क्षेत्र का अनुमान केवल 1020-1030 लाख टन का ही है।
इस तरह दोनों अनुमानों में 100 लाख टन का अंतर है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि इस तरह की भिन्नता को समाप्त किया जाए अथवा अंतर को न्यूनतम स्तर पर रखा जाए, आपको अगले एक या दो वर्षों में स्थिति को बदलते हुए देखेंगे। सरकार का आंकड़ा वास्तविकता के करीब होगा।
कर्नाटक में फलों के लिए फील्ड वैरिफिकेशन एवं रिमोट सेंसिंग का उपयोग पहले से हो रहा है। इसका हवाला देते हुए खाद्य सचिव ने कहा कि कृषि क्षेत्र में इसी तरह की प्रणाली लागू होने जा रही है। कृषि विभाग द्वारा इसकी व्यवस्था की जा रही है।
इसे बहुत जल्दी समूचे देश में चरणबद्ध रूप से लगाया जाएगा जिससे सरकार को उत्पादन का अधिक वास्तविक आंकड़ा प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
संजीव चोपड़ा के मुताबिक चालू वर्ष के अंत में सरकार के पास बाजार हस्तक्षेप के लिए 87 लाख टन गेहूं का अधिशेष स्टॉक रहेगा जो 76 लाख टन के बफर स्टॉक से अलग है। इससे स्पष्ट है कि देश में गेहूं का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है।