iGrain India - मुम्बई । भारत में 2022-24 सीजन के दौरान हल्दी का उत्पादन घटकर 10.26 लाख टन पर सिमटने तथा औसत बाजार भाव 12,500 रुपए प्रति क्विंटल के करीब रहने का अनुमान लगाया गया है।
मुम्बई में पिछले दिन आयोजित ग्लोबल टर्मरिक कांफ्रेंस में एक अग्रणी विश्लेषक ने कहा कि पिछले कुछ महीनों के अंदर हल्दी का भाव 6000 रुपए प्रति क्विंटल से उछलकर 17,000 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया।
इस तरह इसमें 61 प्रतिशत या 11000 रुपए प्रति क्विंटल की जोरदार बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। आगे 10,500 रुपए प्रति क्विंटल की जोरदार बढ़ोत्तरी दर्ज की गई।
आगे 10,500 रुपए प्रति क्विंटल पर इसे लिवाली का अच्छा समर्थन मिलने की उम्मीद है जबकि छह महीनों के दौरान इसका औसत मूल्य 12,500 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास रहने की संभावना है।
वर्तमान समय में दिसम्बर अनुबंध के लिए हल्दी का वायदा मूल्य 13,636 रुपए प्रति क्विंटल तथा निजामाबाद में हाजिर बाजार भाव 12,595 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है।
दरअसल हल्दी की कीमतों में बढ़ोत्तरी की रफ्तार काफी तेज रही और जल्दी ही यह उछलकर 17,000 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गई। लेकिन उसके बाद से इसमें नरमी का दौर शुरू हुआ।
इसका अलग समर्थन स्तर 10500 रुपए प्रति क्विंटल माना जा रहा है और फिर ऊपर चढ़ते हुए यह 14,500 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच सकता है। विश्लेषक के मुताबिक हल्दी का भाव आगामी समय में इससे ऊपर जाने कठिन लगता है।
विश्लेषक के अनुसार पिछले साल के मुकाबले चालू वर्ष के दौरान हल्दी का कुल बिजाई क्षेत्र 11 प्रतिशत घटकर 2.86 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया है। पिछले तीन साल से भाव कमजोर रहने के कारण हल्दी की खेती में किसानों की दिलचस्पी कुछ घट गई।
बिजाई क्षेत्र में कमी आने तथा मानसून की बारिश भी पर्याप्त नहीं होने से हल्दी का उत्पादन घटकर 10.26 लाख टन पर अटक सकता है जबकि पिछला बकाया स्टॉक भी 5.25 लाख टन से गिरकर 4.23 लाख टन रह जाने की संभावना है। लेकिन फिर भी यह सामान्य से ऊंचा है।
समीक्षकों के अनुसार आमतौर पर अल नीनो वाले वर्ष के दौरान हल्दी के उत्पादन में 10-15 प्रतिशत की गिरावट आ जाती है। अक्टूबर-दिसम्बर के दौरान आंध्र प्रदेश तेलंगाना एवं तमिलनाडु में भारी वर्षा होने का अनुमान है जिससे हल्दी की उपज दर प्रभावित हो सकती है। हल्दी के नए माल की आवक फरवरी से अप्रैल तक जारी रहेगी।