iGrain India - मुम्बई । टेफ्ला द्वारा 30 सितम्बर एवं 1 अक्टूबर को मुम्बई में आयोजित दो दिवसीय शुगर से समिट में उद्योग समीक्षकों ने कहा है कि 2023-24 के मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) में केन्द्र सरकार चीनी के निर्यात का निर्णय तभी ले सकती है जब इसके उत्पादन एवं स्टॉक की स्थिति स्पष्ट तथा बेहतर होगी।
विश्लेषकों के मुताबिक यद्यपि अन्य आवश्यक वस्तुओं की तुलना में चीनी के दाम में कम तेजी आई है और इसका भाव 33/34 रुपए प्रति किलो से सुधरकर 37/38 रुपए प्रति किलो पर ही पहुंचा है लेकिन सरकार इससे चिंतित है।
एक महत्वपूर्ण संगठन के एमडी ने कहा कि देश में चीनी की कोई कमी नहीं है और इसका पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है। किसानों को गन्ना का बेहतर मूल्य प्राप्त होने से इसकी खेती में इसका उत्साह एवं आकर्षण बरकरार है।
आगामी समय में इसका क्षेत्रफल और भी बढ़ने की उम्मीद है। चीनी उद्योग अब एथनॉल निर्माण पर विशेष जोर दे रहा है क्योंकि वह ज्यादा लाभप्रद है। अमरीका और ब्राजील जैसे देशों में एथनॉल निर्माण में चीनी का उपयोग बढ़े पैमाने पर किया जाता है। अब भारत में भी उपयोग बढ़ रहा है।
कई देशों की तुलना में भारत में गन्ना की उत्पादकता काफी कम है। केन्द्र सरकार ने राजस्व भागीदारी (रेवेन्यू शेपरिंग) मॉडल की घोषणा करके राज्यों में यह योजना लागू नहीं हुई। ज्ञात हो कि इस स्कीम के अंतर्गत चीनी उत्पादक कंपनियों के मुनाफे के आधार पर गन्ना किसानों को फायदा मिलता है। गुजरात में गन्ना मूल्य का भुगतान तीन किस्मों में करने का नियम प्रचलित है जिससे चीनी मिलों को ब्याज से राहत मिल जाती है।
उद्योग समीक्षकों के अनुसार भारत ने चीनी के निर्यात में अपना महत्वपूर्ण प्लान बना लिया है। सरकार को क्रशिंग सीजन के दौरान इसके निर्यात की अनुमति देनी चाहिए। एक समीक्षक के अनुसार भविष्य में चीनी का भाव मजबूत रह सकता है।
सरकार एथनॉल उत्पादन को काफी प्रोत्साहित कर रही है। इसके तहत चीनी का एक्स-फैक्टरी न्यूनतम बिक्री मूल्य नियत करके भी सरकार ने उद्योग को डूबने से बचा लिया। इसके अलावा सहकारी चीनी मिलों का 10,000 करोड़ रुपए का आयकर माफ़ करके सरकार ने उसे नया जीवनदान दिया।
चालू मार्केटिंग सीजन के आरंभ में चीनी का बकाया अधिशेष स्टॉक कम था इसलिए इसका भाव मजबूत रहने की उम्मीद है। चालू सीजन के दौरान उत्तर प्रदेश में 105-108 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान लगाते हुए एक विश्लेषक ने कहा कि महाराष्ट्र में उत्पादन घटकर 100 लाख टन से नीचे तथा कर्नाटक में महज 35 लाख टन रह जाने की संभावना है। तमिलनाडु में भी उत्पादन घट सकता है।