iGrain India - नई दिल्ली । आयात की अनिश्चितता, कमजोर उठाव तथा सरकारी नीतिगत हस्तक्षेप के कारण लाल मसूर का घरेलू बाजार भाव 6250 रुपए प्रति क्विंटल (725 डॉलर प्रति टन) के आसपास स्थिर बना हुआ है जो इसके न्यूनतम समर्थन मूल्य 6000 रुपए प्रति क्विंटल (700 डॉलर प्रति टन) से कुछ ऊंचा है।
सरकार द्वारा शीघ्र ही मसूर सहित अन्य रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा किए जाने की संभावना है। मसूर की बिजाई भी जल्दी ही शुरू होने वाली है।
जानकार सूत्रों के अनुसार भारत के पश्चिमी तट के बंदरगाह मूंदड़ा एवं हजीरा पर वर्तमान समय में क्रमश: 1.67 लाख टन एवं 58 हजार टन लाल मसूर का स्टॉक पड़ा हुआ है जिसके अधिकांश भाग का आयात कनाडा से किया गया है।
लाल मसूर का न्हावा सेवा बंदरगाह तक पहुंच का मूल्य फिलहाल 785-790 डॉलर प्रति टन बताया जा रहा है मगर आयातकों द्वारा इसमें कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही है।
ऑस्ट्रेलिया से निप्पर हॉल मार्क वैरायटी की मसूर का कोलकाता पहुंच भाव 735-740 डॉलर प्रति टन बताया जा रहा है। रिसेलर्स एवं शॉर्ट सेलर्स द्वारा नवम्बर-दिसम्बर के लिए 730-735 डॉलर प्रति टन के मूल्य स्तर पर मसूर का कारोबार लिए जाने की सूचना मिल रही है।
केन्द्र सरकार मसूर का बफर स्टॉक बनाने का प्रयास कर रही है ताकि आम लोगों को रियायती मूल्य पर इसकी आपूर्ति की जा सके। भारत के चार-पांच राज्यों में अगले महीने विधान सभा का चुनाव होने वाला है जबकि अप्रैल-मई 2024 में लोक सभा का चुनाव हो सकता है।
इसे देखते हुए केन्द्र सरकार अन्य आवश्यक खाद्य उत्पादों के मसूर की कीमतों को भी नियंत्रण में रखने का हर संभव प्रयास कर रही है। यदि एमएसपी में बढ़ोत्तरी हुई तो रबी सीजन के दौरान मसूर के बिजाई क्षेत्र में और भी इजाफा हो सकता है। गत वर्ष भी इसका क्षेत्रफल बढ़ा था।