iGrain India - मास्को । काला सागर क्षेत्र में अवस्थित देशों- रूस, यूक्रेन एवं कजाकिस्तान से विभिन्न कारणों से मसूर के निर्यात शिपमेंट में कठिनाई हो रही है। कजाकिस्तान में खराब मौसम के कारण मसूर की फसल बुरी तरह आहत हुई और वहां इसका उत्पादन 50 प्रतिशत तक घटने की संभावना है। इसके फलस्वरूप वहां 2023-24 सीजन में निर्यात के लिए मसूर का नगण्य स्टॉक उपलब्ध रहेगा।
यूक्रेन में मसूर फसल की कटाई-तैयारी पूरी हो चुकी है लेकिन परिवहन की गंभीर समस्या के कारण इसका निर्यात अटक रहा है। जहां कहीं शिपमेंट की सुविधा है वहां अन्य जिंसों के निर्यात को प्राथमिकता दी जा रही है। इससे मसूर के उत्पादक एवं निर्यातक चिंतित है।
रूस ने अमरीकी डॉलर के सापेक्ष स्थानीय मुद्रा- रूबल की दर पर आधारित फ्री ऑन बोर्ड मूल्य पर 4 से 7 प्रतिशत तक का निर्यात शुल्क लगा दिया है। यह शुल्क तब लागू होगा जब एक डॉलर का दाम 80 रूबल या इससे ज्यादा हो।
वर्तमान समय में 99 रूबल 1 डॉलर के समतुल्य है इसलिए निर्यात शुल्क प्रभावी है। 1 अक्टूबर 2023 से मसूर सहित अन्य जिंसों पर यह निर्यात शुल्क लागू हो गया है। रूस के अनेक व्यापारियों / सप्लायर्स के डिफ़ॉल्ट होने की सूचना मिल रही है।
समझा जाता है कि निर्यात शुल्क लागू होने से मसूर के शिपमेंट का खर्च बढ़ गया है जबकि आयातक इस अतिरिक्त खर्च का भार उठाने को तैयार नहीं हैं। रूस की लाल मसूर का निर्यात खर्च पिछले सप्ताह न्हावा शेवा बंदरगाह पर 710 डॉलर प्रति टन बैठ रहा था।