iGrain India - नई दिल्ली । भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कहा है कि अल नीनो के प्रभाव एवं अगस्त के सूखे के बावजूद इस वर्ष राष्ट्रीय स्तर पर मानसून सीजन के दौरान कुल संचयी वर्षा सामान्य (दीर्घकालीन) औसत की तुलना में केवल 5.6 प्रतिशत कम हुई। हिन्द महासागर के सकारात्मक डायपोल (आईओडी) तथा मैडेन जूलियन ऑसीलेशन (एमजेडी) ने अल नीनो के प्रतिकूल असर को घटाने में काफी सहायता की है।
आईएमडी के आंकड़ों से पता चलता है कि 1 जून से 30 सितम्बर 2023 के चार महीनों के दौरान भारत में कुल संचयी वर्षा करीब 821 मि०मी० दर्ज की गई जो दीर्घकालीन औसत वर्षा 869 मि०मी० से कुछ कम रही।
इस तरह सामान्य औसत के सापेक्ष करीब 94 प्रतिशत वर्षा हुई जो मौसम विभाग द्वारा लगाए गए अनुमान 96 प्रतिशत के काफी करीब है। इसमें 4 प्रतिशत की कमी-अधिकता की संभावना व्यक्त की गई थी।
इसके बावजूद चालू वर्ष के मानसून को सामान्य स्तर से नीचे स्तर का माना जा सकता है। पिछले चार वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ है। दीर्घकालीन औसत के सापेक्ष यदि 96 से 104 प्रतिशत के बीच बारिश होती है तो उसे सामान्य माना जाता है।
इसी तरह 90-95 प्रतिशत के बीच की वर्षा को सामान्य से नीचे तथा 104 से 110 प्रतिशत की बारिश को सामान्य से ऊपर माना जाता है। 90 प्रतिशत से कम वर्षा को काफी कम समझा जाता है।
आईएमडी के महानिदेशक का कहना है कि भारतीय मानसून पर वर्ष 2023 में अल नीनो का असर सबसे कम प्रभाव वाले वर्षों में से एक है। 25 सितम्बर से मानसून ने पश्चिमी राजस्थान से अपनी वापसी यात्रा शुरू कर दी और 15 अक्टूबर तक समूचे देश से इसके प्रस्थान कर जाने की उम्मीद है। महानिदेशक के अनुसार मार्च 2024 तक अल नीनो का असर बरकरार रह सकता है।
इस बीच उत्तर पूर्व मानसून से दक्षिणी प्राद्वीप में बारिश होने के आसार हैं। इसमें तमिलनाडु, पांडीचेरी, तटीय आंध्र प्रदेश, रायल सीमा, केरल तथा दक्षिणी आंतरिक कर्नाटक शामिल हैं जहां दीर्घकालीन औसत के सापेक्ष 88 से 112 प्रतिशत के बीच बारिश होने का अनुमान लगाया जा रहा है।