iGrain India - नई फसल की आवक शुरू होने से सोयाबीन के दाम में जोरदार गिरावट
नई दिल्ली । नई फसल की छिटपुट आवक शुरू होने तथा तेल एवं मील का भाव नरम पड़ने से तीनों प्रमुख उत्पादक प्रांतों- मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं राजस्थान में 29 सितम्बर 5 अक्टूबर वाले सप्ताह के दौरान सोयाबीन के प्लांट डिलीवरी मूल्य में 200-300 रुपए प्रति क्विंटल तक की जोरदार गिरावट दर्ज की गई।
राजस्थान
राजस्थान के कोटा में दो इकाइयों के लिए दाम 225 रुपए घटकर 4575 रुपए प्रति क्विंटल एवं एक अन्य प्लांट के लिए 250 रुपए घटकर 4900 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया। लम्बे समय के बाद यह पहला अवसर है जबकि सोयाबीन का दाम घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे आया है। मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र में भी यही हाल रहा।
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में सोयाबीन के दाम में आमतौर पर 125 से 275 रुपए प्रति क्विंटल तक की नरमी रही जबकि देवास के एक प्लांट में यह 400 रुपए लुढ़ककर 4550 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया। राज्य में सोयाबीन का भाव ऊंचे में 4750 रुपए प्रति क्विंटल तथा नीचे में 4550 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया जबकि अधिकांश कारोबार 4600-4700 रुपए प्रति क्विंटल के मूल्य स्तर पर हुआ।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में सोयाबीन के प्लांट डिलीवरी मूल्य में 100 से 250 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। कम से कम तीन प्लांटों में भाव 250 रुपए नरम रहे। राज्य में सोयाबीन का भाव ऊंचे में 4900 रुपए तथा नीचे में 4700 रुपए प्रति क्विंटल रहा जबकि अधिकांश कारोबार 4750-4850 रुपए प्रति क्विंटल पर हुआ। सिर्फ एक-दो इकाइयों में इसका दाम थोड़ा मजबूत रहा।
सोया तेल (रिफाइंड)
हालांकि रिफाइंड सोया तेल के दाम में भी गिरावट आई लेकिन सोयाबीन की तुलना में इसकी तीव्रता बहुत कम रही। दो-तीन इकाइयों को छोड़कर अन्य प्लांटों में भाव 5-10 रुपए से ज्यादा नहीं घटे। राजस्थान के कोटा एवं महाराष्ट्र के नांदेड तथा धुलिया में दाम 5-5 रुपए तेज रहा। सोलापुर में यह 5 रुपए नरम पड़कर 855 रुपए प्रति 10 किलो पर आ गया।
आवक
राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख उत्पादक राज्यों की महत्वपूर्ण मंडियों में सोयाबीन की कुल आवक 30 सितम्बर को 2.30 लाख बोरी (100 किलो की प्रत्येक बोरी) हुई थी जो 4 अक्टूबर को बढ़कर 4.50 लाख बोरी पर पहुंच गई। ऐसा प्रतीत होता है कि मंडियों में घटते भाव से परेशान एवं चिंतित किसानों ने अपना पुराना स्टॉक भी बाहर निकालना शुरू कर दिया है क्योंकि आगे नई फसल की आवक बढ़ने वाली है।