iGrain India - बंगलोर । यद्यपि राष्ट्रीय स्तर पर सामान्य औसत के मुकाबले सितम्बर में 36 प्रतिशत तथा अक्टूबर में अब तक 24 प्रतिशत अधिक वर्षा होने से देश के 150 प्रमुख बांधों एवं जलाशयों में पानी के स्तर में सुधार आया है लेकिन दक्षिण भारत में स्थिति विषम बनी हुई है।
मौसम विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू माह के दौरान सामान्य औसत स्तर के मुकाबले तमिलनाडु में 47 प्रतिशत, कर्नाटक में 63 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश में 79 प्रतिशत, तेलंगाना में 80 प्रतिशत तथा पांडीचेरी में 61 प्रतिशत कम बारिश हुई।
इसके फलस्वरूप 5 अक्टूबर 2023 को दक्षिण भारत में बांधों एवं जलाशयों में पानी स्तर उसकी कुल भंडारण क्षमता की तुलना में केवल 50 प्रतिशत रह गया।
केन्द्रीय जल आयोग की साप्ताहिक बुलेटिन के आंकड़ों से ज्ञात होता है कि अखिल भारतीय स्तर पर बांधों-जलाशयों में 5 अक्टूबर को 132.721 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) पानी का भंडार मौजूद था जो कुल भंडारण क्षमता का 74 प्रतिशत, पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 17 प्रतिशत बिंदु कम और गत 10 वर्ष औसत भंडार से 9 प्रतिशत बिंदु कम था।
जहां तक दक्षिण भारत का सवाल है तो वहां बांधों- जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता 53.334 बीसीएम है जबकि पानी का वास्तविक भंडार महज 26.435 बीसीएम ही है।
यह मात्रा पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 42 प्रतिशत बिंदु तथा 10 वर्षीय औसत भंडार के मुकाबले 25 प्रतिशत बिंदु कम है। इससे साफ़ पता चलता है कि वहां पांचों राज्यों में पानी का भारी अभाव है और फसलों की सिंचाई से लेकर पीने के पानी तक की आपूर्ति में कठिनाई हो रही है।
ध्यान देने की बात है कि दक्षिणी प्रायद्वीप के उत्तरी भाग में रबी फसलों की बिजाई शुरू होने वाली है। उधर तमिलनाडु के कावेरी डेल्टा में धान की खेती आरंभ होने वाली है मगर वहां पानी का भारी अभाव होने से स्पष्ट संकेत मिलता है कि इस बार वहां जल देवता ने मेहरबार्नी नहीं दिखाई है।