iGrain India - वायनाड । सुदूर दक्षिणी राज्य- केरल में यद्यपि इस बार मौसम एवं मानसून की हालत फसल के लिए पूरी तरह अनुकूल नहीं होने से छोटी (हरी) इलायची का उत्पादन आंशिक रूप से प्रभावित होने की आशंका है।
शुष्क एवं गर्म मौसम के कारण दाने का विकास भी ठीक तरह से नहीं हो सका इसलिए इसकी तुड़ाई-तैयारी देर से शुरू हुई। आमतौर पर जुलाई में इसकी शुरुआत की जाती है और अगस्त में नई फसल की नीलामी का नया सीजन शुरू होता है।
अब दाने पूरी तरह मैच्योर होकर पकने लगे हैं और इसके साथ ही तुड़ाई-तैयारी की गति भी तेज होने लगी है। उल्लेखनीय है कि आमतौर पर हरेक साल अक्टूबर का पहला हाफ आते-आते वहां इलायची की आवक का दबाव काफी बढ़ जाता है जो कमोबेश नवम्बर के अंत तक बरकरार रहता है।
त्यौहारी सीजन का समय होने से स्टॉकिस्ट एवं दिसावरी व्यापारी अक्टूबर-नवम्बर के दौरान वहां इलायची खरीदने में अच्छी दिलचस्पी दिखाते हैं।
गत माह इलायची के दाम में तेजी-मजबूती का माहौल बना रहा क्योंकि एक तो प्रथम चरण की तुड़ाई-तैयारी शुरू होने से पहले वहां मौसम खराब हो गया था और दूसरे, इसके उत्पादन में गिरावट की आशंका बढ़ गई थी।
कीमतों में आई तेजी के कारण अधिकांश बड़े-बड़े स्टॉकिस्टों ने अपना माल बेच दिया। अब वे हल्के हो गए हैं और इसलिए नए माल की जोरदार आपूर्ति होने पर दुबारा इसकी खरीद का प्रयास कर सकते हैं। पिछले दिनों हुई एक नीलामी में छोटी इलायची का भाव 1700 से 2250 रुपए प्रति किलो के बीच दर्ज किया गया था।
इलायची का सर्वाधिक उत्पादन केरल एवं तमिलनाडु में होता है। उम्मीद की जा रही है कि नीलामी केन्द्रों में आवक बढ़ने के बावजूद कीमतों में विशेष नरमी नहीं आएगी क्योंकि उत्पादन में गिरावट की आशंका तथा त्यौहारी सीजन की मांग को देखते हुए खरीदारों की सक्रियता बनी रह सकती है। उत्तरी भारत के स्टॉकिस्ट भी वहां सक्रिय रहेंगे।