iGrain India - अहमदाबाद । एक अग्रणी व्यापारिक संस्था- कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई), ने 2022-23 के मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) में देश से रूई का निर्यात लुढ़ककर 15.50 लाख गांठ पर सिमट जाने का अनुमान लगाया है जो पिछले 18 वर्षों का सबसे निचला स्तर है।
उल्लेखनीय है कि कपास उत्पादन एवं उपयोग समिति (सीपीसीसी) ने आरम्भिक चरण में 2022-23 सीजन के दौरान देश से 30 लाख गांठ रुई के निर्यात का अनुमान लगाया था लेकिन वैश्विक और खासकर चाइनीज अर्थ- व्यवस्था के कमजोर पड़ने से रूई का निर्यात बुरी तरह प्रभावित हुआ।
अमरीकी कृषि विभाग के अनुसार वर्ष 2004-05 के बाद भारत से रूई का यह सबसे कम निर्यात है। 2004-05 के सीजन में देश से 23.05 लाख गांठ रूई का निर्यात हुआ था। रूई की प्रत्येक गांठ 170 किलो की होती है।
गत 7 अक्टूबर को एसोसिएशन की फसल अनुमान समिति की बैठक के निष्कर्ष के आधार पर रूई के उत्पादन, आयात, निर्यात एवं घरेलू उपयोग तथा अंतिम बकाया स्टॉक का आंकड़ा अनुमानित किया गया है।
इससे पूर्व 2021-22 के मार्केटिंग सीजन में भारत से 43 लाख गांठ रूई का निर्यात हुआ था। निर्यात की भांति रूई के आयात में भी कमी आई है। 2021-22 में 14 लाख गांठ रूई का आयात हुआ था जो 2022-23 के सीजन में घटकर 12.50 लाख गांठ पर सिमट गया।
एसोसिएशन ने पहले 2022-23 सीजन के अंत में 23.18 लाख गांठ रूई का बकाया स्टॉक मौजूद रहने का अनुमान लगाया था जो 2021-22 सीजन की समाप्ति पर उपलब्ध स्टॉक 24 लाख गांठ से कम था।
लेकिन निर्यात उम्मीद से कम होने के कारण अब बकाया स्टॉक का अनुमान बढाकर 28.90 लाख गांठ नियत किया गया है। एसोसिएशन ने कपास की प्रोसेसिंग का अनुमान भी 311.18 लाख गांठ से बढ़ाकर अब 318.80 लाख गांठ निर्धारित किया है जो 2021-22 सीजन के उत्पादन अनुमान 299.16 लाख गांठ से ज्यादा है।
उत्पादन एवं उपयोग समिति ने 2021-22 के सीजन में 311.17 लाख गांठ तथा 2022-23 के सीजन में 343.47 लाख गांठ कपास के उत्पादन है।
व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि एसोसिएशन तथा समिती के आंकड़ों में काफी अंतर रहता है जिससे बाजार में दुविधा या असमंजस की स्थिति बनी रहती है।