iGrain India - नई दिल्ली । चालू वर्ष के दौरान किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अरहर (तुवर), उड़द एवं मसूर की 100 प्रतिशत खरीद करने की अनुमति देने के बाद केन्द्र सरकार अब इस योजना के तहत और अधिक दलहनों तथा कुछ तिलहनों की खरीद सुनिश्चित करने पर विचार कर रही है। लेकिन दलहन-तिलहन की खरीद प्रमुख थोक मंडियों में प्रचलित कीमतों पर निर्भर करेगी।
वर्तमान समय में उपरोक्त दलहनों एवं कुछ तिलहनों का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊंचा चल रहा है। हाल ही में सम्पन्न हुई सेंट्रल जोनल कौंसिल की मीटिंग में केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने संकेत दिया था कि सहकारी एजेंसी- नैफेड द्वारा इस वर्ष एमएसपी पर कीमतों से दलहनों एवं तिलहनों के सम्पूर्ण विपणन योग्य स्टॉक की खरीद की जाएगी।
अब तक यह नियम प्रचलित है कि किसी प्रान्त में किसी दलहन या तिलहन के कुल उत्पादन का 20-25 प्रतिशत भी सरकार द्वारा खरीदा जाएगा। इससे किसानों को अपने 75-80 प्रतिशत उत्पाद की बिक्री खुले बाजार में करने के लिए विवश होना पड़ रहा है। बाजार की स्थिति अनिश्चित रहती है। वहां कीमतों में उतार-चढ़ाव का माहौल बना रहता है जिससे किसानों को कभी फायदा तो कभी नुकसान होता है। इस वर्ष दलहनों का भाव ऊंचा होने से किसान लाभान्वित हो रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि 6 जून 2023 को केन्द्र सरकार ने सचिवों की समिति की अभिपुष्टि के बाद 2023-2024 के मार्केटिंग सीजन हेतु मूल्य समर्थन स्कीम के तहत तुवर, उड़द एवं मसूर की खरीद पर लागू मात्रात्मक सीमा को हटाने के निर्णय की घोषणा की थी जिसका उद्देश्य किसानों को दलहन फसलों का बिजाई क्षेत्र एवं उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित- प्रोत्साहित करना है।
वैसे इस घोषणा के बावजूद खरीफ कालीन दलहनों के क्षेत्रफल में 5-6 लाख हेक्टेयर की कमी आ गई। इसके लिए किसानों की उदासीनता नहीं बल्कि मौसम एवं मानसून की प्रतिकूल स्थिति जिम्मेदार है। ऊंचे बाजार भाव के कारण किसान दलहनों का क्षेत्रफल बढ़ाना चाहते थे लेकिन इसमें उन्हें पूरी सफलता नहीं मिल सकी क्योंकि कुछ महत्वपूर्ण उत्पादक क्षेत्रों में बिजाई के समय वर्षा का अभाव रहा।