iGrain India - मुम्बई । दक्षिण- पश्चिम मानसून के दौरान वर्षा की हालत अनिश्चित एवं नियमित होने तथा ऊंचे तापमान के कारण गर्मी बढ़ने से महाराष्ट्र में इस बार खरीफ फसलों को बहुत नुकसान हुआ है और इसके उत्पादन में भारी गिरावट की आशंका है।
राज्य कृषि विभाग द्वारा जारी प्रथम अग्रिम उत्पादन अनुमान से पता चलता है कि चालू खरीफ सीजन के दौरान महाराष्ट्र में खाद्यान्न का उत्पादन पंचवर्षीय औसत की तुलना में करीब 22 प्रतिशत कम होगा।
इसके तहत दलहनों का उत्पादन सबसे ज्यादा प्रभावित होने का अनुमान है जिसका उत्पादन पंचवर्षीय औसत के मुकाबले 35 प्रतिशत घटने की संभावना है।
कृषि विभाग की रिपोर्ट के अनुसार पंचवर्षीय औसत के सापेक्ष इस बार मोटे अनाजों का उत्पादन 18 प्रतिशत घट सकता है। तिलहन फसलों को अपेक्षाकृत कम नुकसान हुआ है इसलिए इसके उत्पादन में केवल 8 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान लगाया गया है।
कृषि विभाग के मुताबिक जून में मानसून के आगमन में 15-16 दिनों की देर हो गई और फिर जुलाई में अत्यधिक बारिश हो गई जिससे खरीफ फसलें प्रभावित हुई।
अगस्त में लम्बे समय तक अधिकांश इलाकों में मौसम बिल्कुल सूखा रहा और एक बून्द पानी नहीं बरसा जिससे फसलों को गंभीर क्षति हुई क्योंकि उस समय पौधों में फूल आने शुरू हो गए थे।
इससे विभिन्न फसलों की उपज दर एवं पैदावार पर प्रतिकूल असर पड़ा। महाराष्ट्र में अरहर के अलावा सोयाबीन, कपास और गन्ना की खेती बड़े क्षेत्रफल में होती है। अगस्त के सूखे ने इस फसलों पर भी प्रतिकूल असर डाला।
मूंग तथा उड़द की फसल भी सूखे का शिकार हो गई और इसके उत्पादन में भारी गिरावट आने की संभावना है। दलहनों का क्षेत्रफल सोयाबीन से काफी कम रहता है और इस तिलहन फसल की हालत अपेक्षाकृत बेहतर बताई जा रही है।
पंचवर्षीय औसत के मुकाबले इस बार महाराष्ट्र में मूंग का उत्पादन 66 प्रतिशत तथा उड़द का उत्पादन 50 प्रतिशत घटने का अनुमान है जबकि अरहर (तुवर) की पैदावार में 30 प्रतिशत की गिरावट आने की संभावना व्यक्त की गई है।
अनाजी फसलों के संवर्ग में ज्वार का उत्पादन 67 प्रतिशत एवं बाजरा का उत्पादन 66 प्रतिशत घटने की आशंका व्यक्त की गई है। सोयाबीन के उत्पादन में भी 6 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान लगाया गया है। मूंगफली की पैदावार 41 प्रतिशत, सूरजमुखी की 90 प्रतिशत तथा तिल की पैदावार 65 प्रतिशत कम होने की संभावना है।