iGrain India - मुम्बई । देश के पश्चिमी राज्य- महाराष्ट्र में इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून की अनिश्चित एवं अनियमित वर्षा के कारण अन्य खरीफ फसलों के साथ-साथ मूंग एवं उड़द के उत्पादन में भी जोरदार गिरावट आने की संभावना व्यक्त की गई है।
तुवर की पैदावार भी घटने वाली है। सोयाबीन के उत्पादन में कम गिरावट आएगी। विदेशों से विशाल मात्रा में दलहनों का आयात होने से घरेलू बाजार भाव नरम रहने के कारण पिछले कुछ वर्षों से महाराष्ट्र के किसान इसकी खेती में कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
वैसे इस वर्ष हालात अनुकूल थे क्योंकि खरीफ सीजन की तीनों प्रमुख दलहन फसलों- अरहर (तुवर), उड़द एवं मूंग का भाव काफी ऊंचा एवं तेज चल रहा था लेकिन मौसम अनुकूल नहीं होने से इसकी बिजाई प्रभावित हो गई।
राज्य कृषि विभाग ने महाराष्ट्र में इस बार पंचवर्षीय औसत के मुकाबले मूंग के उत्पादन में 66 प्रतिशत, उड़द में 50 प्रतिशत एवं तुवर के उत्पादन में 30 प्रतिशत की भारी गिरावट आने का अनुमान लगाया है।
यद्यपि मानसून सीजन के दौरान महाराष्ट्र में सामान्य औसत के सापेक्ष 91 प्रतिशत बारिश हुई मगर इसका वितरण असमान होने से उत्तरी महाराष्ट्र, पुणे संभाग एवं मराठवाड़ा क्षेत्र में वर्षा का काफी अभाव बना रहा।
अगस्त का महीना महाराष्ट्र के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा क्योंकि इसके तीन सप्ताह में मौसम शुष्क रहा और पूरे माह के दौरान 60 प्रतिशत कम वर्षा हुई।
महाराष्ट्र में इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून एक पखवाड़ा देर से पहुंचा था इसलिए फसलों की बिजाई लेट से हुई। मूंग एवं उड़द की फसल जल्दी तैयार होती है इसलिए अगस्त में मौसम का अनुकूल होना इसके लिए अत्यन्त आवश्यक होता है क्योंकि वह पौधों में फूल लगने का समय रहता है।
लेकिन अगस्त में वर्षा का भारी अभाव रहा और तापमान ऊंचा रहने से गर्मी भी काफी बढ़ गई। इसके फलस्वरूप कई क्षेत्रों में मूंग एवं उड़द की फसल सूख गई और किसान उसे बर्बाद होने से बचा नहीं सके।
तुवर की फसल लम्बी अवधि वाली होती है। कुछ इलाकों में इसके सूखने की खबर भी आ रही है मगर सितम्बर की बारिश से कई क्षेत्रों में फसल को राहत मिल गई इसलिए इसके उत्पादन में कम गिरावट आ सकती है।