iGrain India - भटिंडा । पंजाब में कपास उत्पादकों को इस बार मिश्रित अनुभूति हो रही है। हालांकि राज्य में इस वर्ष कपास की फसल पर पिंक बॉलवर्म सहित अन्य रोगों-कीड़ों का प्रकोप ज्यादा गंभीर नहीं रहा लेकिन बिजाई क्षेत्र में गिरावट आने से इसका उत्पादन घटने की संभावना है।
कपास का मंडी भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के ऊपर चल रहा है। दरअसल पिछले कुछ वर्षों के दौरान पंजाब में कपास की फसल पर सफेद मक्खी (व्हाइट फ्लाई) एवं गुलाबी इल्ली (पिंक बॉलवर्म) का घातक प्रकोप रहने से किसानों को भारी नुकसान हुआ और इस बार भी वे दहशत में ही थे इसलिए उन्होंने कपास का रकबा काफी घटा दिया।
इस बार पंजाब के किसानों को कपास के बेहतर उत्पादन की उम्मीद थी लेकिन असामयिक वर्षा एवं सीमित क्षेत्रों में कीड़ों-रोगों के आघात के कारण फसल क्षतिग्रस्त हो गई। भटिंडा जिले के तलवंडी साहिब इलाके में फसल को नुकसान पहुंचने की सूचना मिल रही है।
पंजाब में कपास का बिजाई क्षेत्र पिछले साल के 2.48 लाख हेक्टेयर से घटकर इस बार 1.73 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया जो कृषि विभाग द्वारा नियत लक्ष्य 3 लाख हेक्टेयर से भी काफी कम था। इससे उत्पादन कम होना स्वाभाविक ही है।
पंजाब में कपास की खेती आठ जिलों में होती है मगर अधिकांश रकबा भटिंडा, मनसा, फाजिल्का और मुक्तसर जिलों में रहता है। शेष चार जिलों में क्षेत्रफल सीमित रहता है। अब इन जिलों में रूई की दूसरे चरण की तुड़ाई-तैयारी आरंभ होने वाली है।
पहले चरण की तुड़ाई के समय कपास का भाव 7500 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास था जो न्यूनतम समर्थन मूल्य 6620 रुपए प्रति क्विंटल से काफी ऊंचा था।