iGrain India - नई दिल्ली । घरेलू बाजार में बिक्री के लिए विशाल मात्रा में मासिक फ्री सेल (NS:SAIL) कोटा जारी किए जाने के बावजूद चीनी के दाम में तेजी-मजबूती का रुख बरकरार रहने से सरकार की चिंता एवं आम लोगों की कठिनाई बढ़ गई है।
इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून की हालत भी अच्छी नहीं रही जिससे खासकर महाराष्ट्र एवं दक्षिणी राज्यों में गन्ना की फसल को काफी नुकसान होने की खबर मिल रही है। इसे देखते हुए चीनी का उत्पादन घटने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि 2021-22 के सीजन में चीनी का घरेलू उत्पादन उछलकर 358 लाख टन के शीर्ष स्तर पर पहुंचा था मगर 2022-23 सीजन के दौरान यह 30 लाख टन घटकर 328 लाख टन पर सिमट गया।
2023-24 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) में उत्पादन और भी घटकर 310-315 लाख टन के बीच सिमटने का अनुमान लगाया जा रहा है जबकि उद्योग के पास इसका बकाया स्टॉक भी कम बचा है।
अक्टूबर माह के लिए सरकार ने रिकॉर्ड 28 लाख टन चीनी का फ्री सेल कोटा जारी किया है। आमतौर पर इतने विशाल कोटे के दबाव से चीनी की कीमतों में भारी गिरावट आनी चाहिए थी मगर ऐसा नहीं हो रहा है।
त्यौहारी सीजन की मजबूत मांग को इसका कारण माना जा रहा है। पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव को देखते हुए केन्द्र सरकार चीनी के दाम को उचित स्तर पर लाने और स्थिर करने का हर संभव प्रयास कर रही है।
इसके लिए व्यापारियों पर नजर रखने का प्रयास भी हो रहा है और मिलों को नियत समयावधि में अपना निर्धारित स्टॉक बेचने के लिए कहा जा रहा है। लेकिन कोई भी कोशिश कारगर साबित नहीं हो रही है।
अगले साल अप्रैल- मई में लोकसभा का चुनाव होने वाला है इसलिए सरकार चीनी का निर्यात खोलने का जोखिम नहीं उठाना चाहेगी। वैसे कुछ उद्यमियों का मानना है कि निर्यात का घरेलू बाजार भाव पर ज्यादा नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चीनी का भाव घरेलू बाजार मूल्य से काफी ऊंचा चल रहा है।
स्टॉक की उपलब्धता कम रह सकती है जो सरकार के लिए चुनौती साबित होगी। सरकार की प्राथमिकता घरेलू प्रभाग में चीनी की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने एवं कीमतों को नियंत्रित रखने की होगी।