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रबी फसलों पर अल नीनो का खतरा कम होने की उम्मीद

प्रकाशित 12/10/2023, 05:38 pm
अपडेटेड 12/10/2023, 05:45 pm
रबी फसलों पर अल नीनो का खतरा कम होने की उम्मीद

iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि वैश्विक मौसम मॉडल्स से संकेत मिलता है कि नवम्बर 2023 से जनवरी 2024 तक अल नीनो मौसम चक्र अपने पीक पर रह सकता है क्योंकि प्रशांत महासागर में गर्मी एक बार फिर बढ़ने लगी है लेकिन भारत पर इसका न्यूनतम प्रभाव पड़ने की उम्मीद है क्योंकि हिन्द महासागर में सकारात्मक डायपोल का निर्माण हो चुका है जो कम से कम दिसम्बर 2023 तक भारत को अल नीनो के खतरे से बचाने में सहायक साबित होगा।

मालूम हो कि नवम्बर से जनवरी के दौरान भारत में रबी फसलों की बिजाई का पीक सीजन होता है और यदि इस अवधि में अल नीनो से फसलों का बचाव हो गया तो आगे के लिए खतरा घट जाएगा।

जैसे नवम्बर-सितम्बर के दौरान तापमान सामान्य औसत स्तर से कुछ ऊपर रहने का अनुमान लगाया जा रहा है जिससे खेतों की मिटटी से नमी सूखने की गति बढ़ सकती है। चूंकि प्रमुख उत्पादक राज्यों में अभी नमी सामान्य है इसलिए गेहूं, चना, सरसों, मसूर, जौ एवं मटर सहित अन्य फसलों की अगैती बिजाई करने में किसानों को ज्यादा कठिनाई नहीं होगी। 

यद्यपि अक्टूबर-दिसम्बर की तिमाही के दौरान देश में उत्तर-पूर्व मानसून सक्रिय रहता है अगर इससे अधिकांश बारिश दक्षिणी राज्यों में होती है। देश के शेष भागों में वर्षा के लिए पश्चिमी विक्षोभ एवं बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न होने वाले कम दाब के क्षेत्र पर निर्भर रहना पड़ता है।

खरीफ सीजन की फसलों की कटाई-तैयारी सामान्यतः जनवरी तक पूरी हो जाती है लेकिन तुवर की कटाई जारी रहती है। धान की फसल को जो नुकसान होना था वह हो चुका है। अब यदि तापमान में इजाफा नहीं हुआ तो फसल को नुकसान की आशंका कम रहेगी।

रबी सीजन में भी कुछ राज्यों में धान की खेती होती है जिसमें तेलंगाना एवं तमिलनाडु मुख्य रूप से शामिल हैं। अक्टूबर में अब तक देश के दक्षिणी राज्यों में वर्षा का भारी अभाव रहा है और बांधों- जलाशयों में पानी का स्तर काफी घट गया है।

इससे किसान काफी चिंतित और बेचैन हैं। लेकिन आगामी समय में वहां वर्षा होने की संभावना है। देश के उत्तरी, मध्यवर्ती एवं पश्चिमोत्तर भाग में किसानों को खरीफ फसल काटने के बाद रबी फसलों की बिजाई में सहूलियत हो सकती है मगर पूर्वी भारत में कठिनाई हो सकती है।

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