iGrain India - कराची । पाकिस्तान में दलहनों का उत्पादन सीमित होता है जबकि दालों की मांग एवं खपत लगातार बढ़ती जा रही है। बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उसे विदेशों से खासकर चना एवं मसूर के भारी आयात की आवश्यकता पड़ती है।
अमरीकी कृषि विभाग (उस्डा) की विदेश कृषि सेवा की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में चना की खेती करीब 8.30 लाख हेक्टेयर में होती है और उत्पादन 2.38 लाख टन के करीब होता है।
दूसरी ओर इसकी घरेलू खपत 8.25 लाख टन तक पहुंच गई है जिससे वहां इसका आयात बढ़कर 6 लाख टन पर पहुंच गया है। इसी तरह मसूर का बिजाई क्षेत्र 6-7 हजार हेक्टेयर एवं उत्पादन 3-4 हजार टन ही रहता है जबकि मांग बढ़कर 1.50 लाख टन पर पहुंच गई है। इसके फलस्वरूप वहां इसका आयात भी 1.45 लाख टन के करीब हो रहा है। पाकिस्तान में भारत की भांति चना एवं मसूर की खेती रबी सीजन में होती है। इसकी बिजाई मध्य अक्टूबर से मध्य नवम्बर के बीच होती है।
इसके अलावा पाकिस्तान में मूंग, मोठ एवं मटर तथा बीन्स का उत्पादन भी सीमित क्षेत्रफल में होता है। विदेश कृषि सेवा की रिपोर्ट के मुताबिक इसका बिजाई क्षेत्र 2.25 लाख हेक्टेयर रहता है जबकि उत्पादन 1.40 लाख टन तक ही पहुंच पाता है।
दूसरी ओर इसकी मांग एवं खपत बढ़कर 3.15 लाख टन पर पहुंच गई है जिसके फलस्वरूप वहां इसका वार्षिक आयात 1.75 लाख टन के करीब होने लगा है।
इस तरह पाकिस्तान में कुल मिलाकर 10.61 लाख हेक्टेयर में दलहन फसलों की खेती होती है और वार्षिक पैदावार 3.82 लाख टन के करीब रहती है। दूसरी ओर इसकी मांग एवं खपत बढ़कर 12.90 लाख टन पर पहुंच गई है जिसे पूरा करने के लिए उसे औसत 9.20 लाख टन के आयात की आवश्यकता पड़ती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में दाल-दलहन की मांग एवं खपत बढ़ती जा रही है मगर इसका उत्पादन बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। दालों की औसत वार्षिक खपत 13 लाख टन के करीब पहुंच गई है।
रमजान, ईद एवं मोहर्रम आदि त्यौहारों के समय वहां दालों की जबरदस्त खपत होती है। इसका उपयोग साबुत दलहन, दली दाल एवं स्नैक फूड्स आदि रूप में किया जाता है। पंजाब और सिंध प्रान्त में दलहनों की अधिक होती है।