iGrain India - इंदौर । हालांकि मौसम की हालत पूरी तरह अनुकूल होने के कारण चालू खरीफ सीजन के दौरान सोयाबीन का उत्पादन कुछ घटने की संभावना व्यक्त की जा रही है मगर नई फसल की कटाई-तैयारी एवं आवक शुरू होने तथा सोया तेल एवं सोयामील का भाव नरम पड़ने से सोयाबीन के दाम में भी गिरावट का माहौल बन गया है।
मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र जैसे शीर्ष उत्पादक राज्यों की प्रमुख थोक मंडियों में सोयाबीन का भाव घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य के आसपास या उससे भी नीचे आ गया है। इससे किसानों को औने-पौने दाम पर अपना उत्पाद बेचने के लिए विवश होना पड़ रहा है।
क्रशिंग-प्रोसेसिंग प्लांटों के साथ समस्या यह है कि सोया तेल एवं सोयामिल का भाव काफी नरम पड़ गया है इसलिए वह ऊंचे दाम पर सोयाबीन खरीदने की स्थिति में नहीं है।
केन्द्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से सोयाबीन खरीदने का आश्वासन दिया है लेकिन इसकी प्रक्रिया देर से शुरू होने की उम्मीद है और तब तक उत्पादकों को निचले मूल्य स्तर पर ही अपना स्टॉक बेचने पड़ेगा।
त्यौहारी सीजन के बावजूद सोयाबीन का भाव नरम पड़ने से स्पष्ट संकेत मिलता है कि सरकार इसे नीचे ही रखना चाहती है। उद्योग समीक्षकों का कहना है कि सरकार को एक तरफ किसानों से सोयाबीन की खरीद तत्काल शुरू करनी चाहिए तो दूसरी ओर खाद्य तेलों पर आयात शुल्क का स्तर भी बढ़ाना चाहिए।
किसानों को सोयाबीन का आकर्षक और लाभप्रद मूल्य मिलना जरुरी है अन्यथा इसकी खेती के प्रति उसका उत्साह एवं आकर्षण घट सकता है। दो साल पूर्व इस महत्वपूर्ण तिलहन का भाव उछलकर अत्यन्त ऊंचे स्तर पर पहुंच गया था और पिछले साल भी दाम समर्थन मूल्य से ऊपर रहा था। ध्यान देने वाली बात है कि मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में अगले महीने विधानसभा का चुनाव होने वाला है जो देश में सोयाबीन का क्रमश: सबसे प्रमुख एवं तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक प्रान्त है।