iGrain India - राजकोट । हालांकि पिछले साल के मुकाबले इस बार खरीफ सीजन में राष्ट्रीय स्तर पर मूंगफली का बिजाई क्षेत्र 45.53 लाख हेक्टेयर से घटकर 43.91 लाख हेक्टेयर पर अटक गया और खासकर देश के सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य- गुजरात में इसका रकबा गिरकर 16.36 लाख हेक्टेयर रह गया जिससे इसके उत्पादन में गिरावट आने की संभावना है लेकिन नए माल की जोरदार आवक शुरू होने पर इसकी कीमतों पर दबाव बढ़ने का अनुमान है।
गुजरात सरकार ने अपने प्रथम अग्रिम अनुमान में मूंगफली की औसत उपज दर 2440.55 किलो प्रति हेक्टेयर रहने और कुल पैदावार 39.93 लाख टन होने की संभावना व्यक्त की है।
महाराष्ट्र सरकार ने मूंगफली का उत्पादन पिछले साल के 1.91 लाख टन से घटकर इस बार 1.24 लाख टन रह जाने का अनुमान लगाया है। कर्नाटक में भी गंभीर सूखे का का संकट होने से मूंगफली का उत्पादन कमजोर रहेगा। तेलंगाना में इसके बिजाई क्षेत्र में कमी आई है और अगस्त के शुष्क तथा गर्म मौसम से राजस्थान में मूंगफली की फसल प्रभावित हुई है।
ऐसी हालत में आमतौर पर मूंगफली एवं इसके तेल का भाव ऊंचा और मजबूत रहना चाहिए लेकिन कुछ विशेष कारणों से इसमें नरमी आने की संभावना है।
पहली बात तो यह है कि विदशों से विशाल मात्रा सस्ते खाद्य तेलों का आयात होने से घरेलू बाजार में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति अत्यन्त सुगम हो गई है इसलिए महंगे मूंगफली तेल की मांग प्रभावित होने लगी है।
इसके अलावा खरीफ कालीन फसल के नए माल की आवक शुरू होने तथा सरकारी खरीद की प्रक्रिया चालू नहीं होने से बाजार में मूंगफली के दाम पर दबाव पड़ सकता है क्योंकि व्यापारी एवं मिलर्स किसानों से ऊंचे दाम पर इसकी भारी खरीद का प्रयास करने से हिचक सकते हैं।