iGrain India - मेड़ता सिटी । हालांकि राजस्थान के कृषि विभाग ने अपने प्रथम अग्रिम अनुमान में मूंग के उत्पादन में भारी बढ़ोत्तरी होने की संभावना व्यक्त की है लेकिन उद्योग-व्यापार क्षेत्र का मानना है कि वास्तविक उत्पादन काफी कम होगा।
उद्योग समीक्षकों के अनुसार ऐसा प्रतीत होता है कि सरकारी उत्पादन आंकड़ा मूंग के बिजाई क्षेत्र पर आधारित है और कृषि मंत्रालय ने प्रतिकूल मौसम से फसल को हुई भारी क्षति को नजरअंदाज कर दिया है। जब दूसरा अग्रिम अनुमान जारी होगा तब उत्पादन के इस आंकड़े में आवश्यक संशोधन-परिवर्तन किया जा सकता है।
ज्ञात हो कि राजस्थान देश में मूंग का सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त है इसलिए वहां की फसल पर सबका ध्यान केन्द्रित रहता है। कृषि विभाग ने मूंग का उत्पादन पिछले साल के 11.75 लाख टन से करीब 16 प्रतिशत बढ़कर चालू खरीफ सीजन में 13.62 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान लगाया है जबकि मोठ का उत्पादन 4.29 लाख टन से 10 प्रतिशत घटकर 3.87 लाख टन रह जाने की संभावना व्यक्त की है।
दूसरी ओर उद्योग-व्यापार समीक्षकों का मानना है कि राजस्थान में पिछले साल के मुकाबले इस बार मूंग के उत्पादन में 35-40 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है और जब फसल की कटाई-तैयारी समाप्त होगी तब इसके बाजार भाव में तेजी का माहौल शुरू हो सकता है।
एक व्यापारी ने तो उत्पादन में कम से कम 40-45 प्रतिशत की भारी गिरावट आने की संभावना व्यक्त करते हुए कहा है कि अगले एक-डेढ़ माह के बाद बाजार पर इसका असर पड़ने लगेगा।
वर्तमान समय में मांग एवं आपूर्ति की स्थिति संतुलित है और अधिकांश छोटे-छोटे किसान अपना पूरा उत्पादन एक ही साथ मंडियों में उतार रहे हैं जिससे पैदावार घटने का स्पष्ट संकेत मिलता है।
किसानों का कहना है कि अगस्त के सूखे एवं गर्म मौसम ने मूंग की फसल को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया। पिछले साल की तुलना में इस बार मूंग की औसत उपज दर में भारी गिरावट देखी जा रही है और कहीं-कहीं दाने का आकार भी छोटा रह गया है।
एक माह तक मूंग के नए माल की अच्छी आवक होने की उम्मीद है और उसके बाद आपूर्ति की रफ़्तार लगातार धीमी पड़ सकती है जिससे वहां मूंग के दाम में आगे तेजी का रुख बनने के आसार हैं।