iGrain India - नई दिल्ली । वैश्विक आर्थिक मंदी, गैर प्रतिस्पर्धी कीमत एवं स्टॉक की अनुपलब्धता के कारण भारत से पिछले साल के मुकाबले चालू वित्त वर्ष के शुरूआती पांच महीनों के दौरान दलहनों, ग्वार गम, मिल्ड उत्पादों, गैर बासमती चावल, गेहूं तथा अन्य अनाजों के निर्यात में भारी गिरावट दर्ज की गई जबकि मूंगफली एवं बासमती चावल के निर्यात में कुछ इजाफा हुआ।
केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय की अधीनस्थ एजेंसी- कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल-अगस्त 2022 की तुलना में अप्रैल-अगस्त 2023 के दौरान देश से मूंगफली का निर्यात 1.78 लाख टन से सुधरकर 2.35 लाख टन तथा बासमती चावल का निर्यात 18.76 लाख टन से बढ़कर 20.10 लाख टन पर पहुंच गया।
चूंकि बासमती चावल के लिए 1200 डॉलर प्रति टन का ऊंचा न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) 25 अगस्त 2023 से लागू हुआ इसलिए इसका निर्यात अगस्त तक प्रभावित नहीं हुआ।
दूसरी ओर समीक्षाधीन अवधि के दौरान दाल-दलहनों का निर्यात 3.60 लाख टन से घटकर 2.68 लाख टन, ग्वार गम का 1.91 लाख टन से फिसलकर 1.81 लाख टन, मिल्ड उत्पादों का 5.28 लाख टन से घटकर 91 हजार टन, गैर बासमती चावल का 75.95 लाख टन से लुढ़ककर 64.56 लाख टन. गेहूं का 44.07 लाख टन से लुढ़ककर 53 हजार टन तथा अन्य अनाजों (मुख्यत: मक्का) का निर्यात 13.92 लाख टन से गिरकर 12.19 लाख टन रह गया।
गैर बासमती के तहत सफेद (कच्चे) चावल के निर्यात पर 20 जुलाई से प्रतिबंध लगा दिया गया जबकि 25 अगस्त से सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लागू हो गया। इसके फलस्वरूप सितम्बर से चावल के निर्यात में जोरदार गिरावट आने लगी।
गेहूं का निर्यात मई 2022 से ही बंद है और केवल सरकारी तौर पर इसका थोड़ा बहुत शिपमेंट हो रहा है। गेहूं उत्पादों के निर्यात पर भी पिछले साल से रोक लगी हुई है। मक्का का भाव ऊंचा होने से दक्षिण-पूर्व एशिया में इसकी मांग कमजोर पड़ गई है।