iGrain India - नई दिल्ली । आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि अखिल भारतीय स्तर पर पिछले साल की तुलना में वर्तमान खरीफ सीजन के दौरान दलहनों के उत्पादन क्षेत्र में 5.40 लाख हेक्टेयर, तिलहनों के रकबे में 3.50 लाख हेक्टेयर तथा कपास के बिजाई 4.10 लाख हेक्टेयर की गिरावट आ गई।
इसके साथ दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन के दौरान देश के पूर्वी एवं पूर्वोत्तर भाग तथा दक्षिणी प्रायद्वीप में वर्षा कम होने से इन फसलों की प्रगति में बढ़ा पड़ी। अगस्त माह के दौरान देश का अधिकांश भाग गंभीर सूखे की चपेट में रहा जिससे राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, महाराष्ट्र एवं कर्नाटक जैसे राज्यों में दलहन, तिलहन एवं कपास की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई। महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में रागी जैसे मोटे अनाजों की फसल को भी काफी नुकसान होने की आशंका है।
एक समीक्षा रिपोर्ट के अनुसार कमजोर मानसून एवं शुष्क तथा गर्म मौसम के प्रभाव से चालू खरीफ सीजन में गन्ना, धान एवं मोटे अनाज की फसल पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है और इसके उत्पादन में गिरावट आने की आशंका उत्पन्न हो गई है।
कई राज्यों में वर्षा का अभाव होने तथा बांधों-जलाशयों में पानी का भंडार बहुत कम रहने से रबी फसलों की बिजाई प्रभावित हो सकती है। गत वर्ष के मुकाबले इस बार खरीफ सीजन के दौरान धान का उत्पादन क्षेत्र कर्नाटक में 14.4 प्रतिशत, तमिलनाडु में 13 प्रतिशत एवं आंध्र प्रदेश में 6.7 प्रतिशत घट गया।
हालांकि तेलंगाना में यह बढ़कर 26.30 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा मगर वर्षा के अभाव में फसल को काफी नुकसान हो रहा है। दूसरी ओर वर्षा का अभाव होने के बावजूद धान का उत्पादन क्षेत्र बिहार में 16 प्रतिशत एवं झारखंड में 36 प्रतिशत बढ़ गया। कुछ अन्य प्रांतों में भी धान का रकबा बढ़ गया।
दलहन फसलों का उत्पादन सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों में कमजोर होने की संभावना है। महाराष्ट्र कृषि विभाग ने तुवर, मूंग एवं उड़द के उत्पादन में भारी गिरावट का अनुमान लगाया है।
गुजरात में भी दलहन की पैदावार कम होने की संभावना है। कर्नाटक में तो अधिकांश भाग को पहले ही सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित किया जा चुका है। मध्य प्रदेश में हालत अपेक्षाकृत कुछ बेहतर बताई जा रही है।