iGrain India - नई दिल्ली । वर्तमान खरीफ मार्केटिंग सीजन में विभिन्न फसलों जैसे- कपास, मूंगफली, मक्का एवं मूंग आदि के नए माल की आवक शुरू हो चुकी है और इसका थोक मंडी भाव केन्द्र सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर चल रहा है। इसी तरह तुवर एवं उड़द का दाम भी समर्थन मूल्य से काफी ऊंचा है। लेकिन सोयाबीन की कीमत नरम पड़ गई है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार दालों एवं खाद्य तेलों की मांग मजबूत बनी हुई है जबकि खरीफ कालीन दलहन-तिलहन फसलों का उत्पादन उम्मीद से कम होने की संभावना है। इसके फलस्वरूप कीमतों में नरमी नहीं आ रही है।
यद्यपि केन्द्र सरकार विदेशों से आयात के लिए अपनी नीतियों को उदार बनाकर घरेलू प्रभाग में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों को नियंत्रित करने का हर संभव प्रयास कर रही है लेकिन त्यौहारी सीजन होने के कारण उसे ज्यादा सफलता नहीं मिल रही है।
उम्मीद की जा रही है कि आगामी समय में जब नई फसल की जोरदार आवक होगी तब दलहन-तिलहन के दाम में कुछ नरमी आ सकती है। तुवर, उड़द एवं मसूर के आयात को 31 मार्च 2024 तक के लिए शुल्क मुक्त कर दिया गया है लेकिन फिर भी घरेलू बाजार भाव काफी ऊंचे स्तर पर बरकरार है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि दलहनों का ऊंचा भाव किसानों के लिए अनुकूल है और इससे उसे इसका उत्पादन बढ़ाने का प्रोत्साहन मिलेगा। लेकिन खाद्य मंत्रालय की सोच इसके विपरीत है।
उसका मानना है कि दाल-दलहनों के दाम में जरूरत से ज्यादा का इजाफा होने से आम उपभोक्ताओं की कठिनाई बढ़ गई है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार एक तरफ कर्नाटक में मक्का का दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से कुछ ऊंचा चल रहा है तो दूसरी ओर मध्य प्रदेश में सोयाबीन का भाव समर्थन मूल्य से 4-5 प्रतिशत नीचे आ गया है।
विदेशों से विशाल मात्रा में सस्ते सोया तेल का आयात होने से सोयाबीन के घरेलू बाजार भाव पर दबाव बढ़ता जा रहा है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) ने 2022-23 के वर्तमान मार्केटंग सीजन (नवम्बर-अक्टूबर) के दौरान देश में खाद्य तेलों का आयात तेजी से बढ़कर 170 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान लगाया है।
मालूम हो कि भारत में क्रूड पाम तेल, आरबीडी पामोलीन, क्रूड डीगम सोयाबीन तेल तथा क्रूड सूरजमुखी तेल का आयात बड़े पैमाने पर होता है।