iGrain India - पुणे । देश के पश्चिमी प्रान्त- महाराष्ट्र में पानी का भारी अभाव महसूस किया जा रहा है। मानसून सीजन में कम बारिश होने से बांधों- जलाशयों में भी पानी का भंडार काफी घट गया है। किसानों को रबी फसलों की बिजाई की चिंता सता रही है।
कई इलाकों में पेय जल का संकट बढ़ गया है। छत्रपति संभाजी नगर डिवीजन फिलहाल गंभीर जल संकट से जूझ रहा है। वहां बांधों-जलाशयों में केवल 40.43 प्रतिशत पानी बचा है जो पिछले साल के भंडार 88 प्रतिशत के आधे से भी कम हैं।
इसी तरह नागपुर संभाग में 87 प्रतिशत एवं अमरावती संभाग में 84 प्रतिशत पानी का स्टॉक उपलब्ध है। नासिक एवं पुणे संभाग में क्रमश: 78 प्रतिशत एवं 80 प्रतिशत जल का भंडार मौजूद है। कोंकण संभाग में यह 93 प्रतिशत है।
बढ़ते जल संकट को देखते हुए राज्य सरकार ने 300 से अधिक गांवों में वाटर टैंकर सेवा आरंभ कर दी है जबकि आगामी दिनों में टैंकर की संख्या बढ़ाने का प्लान बना रही है।
उल्लेखनीय है कि मानसूनी वर्षा की कमी एवं शुष्क तथा गर्म मौसम के कारण महाराष्ट्र में विभिन्न खरीफ फसलों के उत्पादन में भारी गिरावट आने का अनुमान लगाया गया है।
ऐसी हालत में यदि रबी फसलों की बिजाई एवं पैदावार प्रभावित हुई है तो राज्य की अर्थ व्यवस्था पर गहरी चोट पड़ सकती है। कृषि विभाग के अधिकारी काफी चिंतित हैं क्योंकि जलाभाव का रबी फसलों पर गहरा असर पड़ने की आशंका है।
इसे देखते हुए महाराष्ट्र में गेहूं एवं चना का उत्पादन क्षेत्र घटाने तथा ज्वार एवं मक्का का रकबा बढ़ाने का प्लान बनाया जा रहा है क्योंकि मोटे अनाजों की फसलों को सिंचाई के लिए अपेक्षाकृत कम पानी की जरूरत पड़ती है।
सरकार का ध्यान पेय जल उपलब्ध करवाने पर केन्द्रित है और इसलिए बांधों-जलाशयों में उपलब्ध पानी के स्टॉक को इसी उद्देश्य के लिए आरक्षित रखने का प्रयास किया जाएगा।
महारष्ट्र में करीब 1.74 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में रबी फसलों की बिजाई हो चुकी है जो कुल नियत क्षेत्रफल का करीब 3 प्रतिशत है। जहां नमी उपलब्ध है वहां किसान फसलों की बिजाई जारी रखेंगे।