iGrain India - नई दिल्ली । चुनावी वर्ष को ध्यान में रखते हुए केन्द्र सरकार ने कृषक समुदाय को खुश करने के उद्देश्य से रबी कालीन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 105 रुपए से लेकर 425 रुपए प्रति क्विंटल तक का भारी इजाफा कर दिया है।
2022-23 के रबी सीजन की तुलना में 2023-24 सीजन के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2125 रुपए प्रति क्विंटल से 150 रुपए बढ़ाकर 2275 रुपए प्रति क्विंटल, जौ का समर्थन मूल्य 1755 रुपए प्रति क्विंटल से 115 रुपए बढ़ाकर 2275 रुपए प्रति क्विंटल, जौ का समर्थन मूल्य 1735 रुपए प्रति क्विंटल से 115 रुपए बढ़ाकर 1850 रुपए प्रति क्विंटल,
चना का एमएसपी 5335 रुपए प्रति क्विंटल से 105 रुपए बढ़ाकर 5440 रुपए प्रति क्विंटल सरसों का एमएसपी 5450 रुपए प्रति क्विंटल से 200 रुपए बढ़ाकर 5650 रुपए प्रति क्विंटल तथा कुसुम (सैफ्लावर) का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5650 रुपए प्रति क्विंटल से 150 रुपए बढ़ाकर 5800 रुपए रुपए प्रति क्विंटल नियत किया गया है।
इस तरह चना के समर्थन मूल्य में सबसे कम 105 रुपए प्रति क्विंटल एवं सरसों के एमएसपी में 200 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी हुई है। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व 2021-22 के रबी सीजन के दौरान गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2015 रुपए प्रति क्विंटल, जौ का 1635 रुपए प्रति क्विंटल, चना का 5230 रुपए प्रति क्विंटल, मसूर का 5500 रुपए प्रति क्विंटल, सरसों का 5050 रुपए प्रति क्विंटल तथा सैफ्लावर (कुसुम) का समर्थन मूल्य 5441 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया गया था।
जहां तक मसूर का सवाल है तो इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य पिछले साल के 6000 रुपए प्रति क्विंटल से 425 रुपए बढ़ाकर इस बार 6425 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है जो 2021-22 सीजन के दौरान 5500 रुपए प्रति क्विंटल नियत हुआ था। इस तरह महज दो वर्षों के दौरान मसूर के समर्थन मूल्य में 925 रुपए प्रति क्विंटल का भारी इजाफा हो गया।
रबी फसलों की बिजाई तो वर्ष 2023 में ही आरंभ हो जाएगी मगर इसकी कटाई-तैयारी वर्ष 2024 में शुरू होगी इसलिए इसका नया मार्केटिंग सीजन 2024-25 का होगा। आमतौर पर सरकार का तर्क होता है कि किसानों को अधिक से अधिक उत्पादन के लिए प्रेरित-प्रोत्साहित करने हेतु फसलों के समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी की जाती है लेकिन इसका प्रभाव घरेलू बाजार मूल्य पर भी स्वाभाविक रूप से पड़ता है।