iGrain India - नई दिल्ली । अमरीकी जलवायु पूर्वानुमान केन्द्र ने कहा है कि प्रशांत महासागर से उत्पन्न अल नीनो मौसम चक्र का प्रभाव मई 2024 तक चना कायम रह सकता है जिससे संसार के कई भागों में तापमान एवं वर्षा की स्थिति में बदलाव होने की आशंका रहेगी।
इस मौसम एजेंसी के अनुसार उत्तरी गोलार्द्ध में अगले वसंत काल तक अल नीनो का प्रकोप बरकरार रह सकता है और मार्च से मई 2024 तक इसकी सक्रियता जारी रहने के 80 प्रतिशत चांस है।
ध्यान देने की बात है कि यह अवधि एशिया, ऑस्ट्रेलिया तथा दक्षिण अमरीका महाद्वीप के कृषि क्षेत्र के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है। इसी समय में विभिन्न एशियाई देशों में कुछ महत्वपूर्ण फसलों की कटाई-तैयारी एवं कुछ अन्य फसलों की बिजाई तथा प्रगति होती है।
दक्षिण अमरीका महाद्वीप के ब्राजील तथा अर्जेन्टीना में सोयाबीन एवं मक्का की खेती का यह आदर्श समय होता है। दक्षिण पूर्व एवं सुदूर-पूर्व एशिया में अल नीनो के प्रकोप से खासकर धान-चावल एवं पाम तेल का उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
जहां तक भारत का सवाल है तो दिसम्बर से अप्रैल तक का समय रबी फसलों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
फिलहाल दो बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। पहली बात यह है कि अल नीनो का असर किस देश या संभाग पर कब तक और कितना रहेगा, यह देखना जरूरी होगा और दूसरी बात यह है कि अल नीनो के पीछे ला नीना मौसम चक्र का आगमन होने पर इसका प्रकोप किस हद तक उदासीन (न्यूटल) होगा। मियामी (अमरीका) के एक मौसम विशेषज्ञ के अनुसार अल नीनो का प्रभाव शीतकालीन तापमान तथा वर्षा / हिमपात के पैटर्न पर असर डाल सकता है जिससे दुनिया के उनके देश प्रभावित हो सकते हैं।
दूसरी ओर वाशिंगटन के एक मौसम वैज्ञानिक ने कहा है कि इस वर्ष मौसम उतना खराब नहीं हुआ जितना अनुमान लगाया जा रहा था। इससे प्रतीत होता है कि अल नीनो मौसम चक्र उम्मीद से कम ताकतवर था।
आगे यह कुछ मजबूत या सामान्य रह सकता है। विगत वर्षों में जब अल नीनो का प्रभाव रहता था तब वर्षा बहुत कम होती थी और इसे पूरी तरह विकसित होने में समय भी ज्यादा लगता था लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है इसलिए इसके प्रभाव पर संदेह है।