iGrain India - मुम्बई । अफ्रीकी देश मोजाम्बिक से तुवर के आयात की गति काफी धीमी पड़ गई है जिससे इस महत्वपूर्ण दलहन के घरेलू बाजार भाव से ज्यादा गिरावट नहीं आ रही है।
भारतीय आयातकों ने आरोप लगाया है कि मोजाम्बिक के बंदरगाहों पर 1.50 लाख टन से अधिक तुवर की खेप पिछले एक माह से भी अधिक समय से मौजूद है और इसका शिपमेंट अटका हुआ है क्योंकि उसके निर्यातकों ने जान बूझकर इसे रोक रखा है।
इधर भारत को तुवर, उड़द एवं मसूर जैसे दलहनों के अभाव का सामना करना पड़ रहा है। घरेलू प्रभाग में दाल-दलहन की महंगाई दर अगस्त के 13 प्रतिशत से बढ़कर सितम्बर में 16.4 प्रतिशत पर पहुंच गई।
सरकार द्वारा स्टॉक धारिता सीमा में भारी कटौती किए जाने के बाद तुवर का भाव कुछ हद तक स्थिर हो गया लेकिन फिर भी इसका स्तर बहुत ऊंचा है। एक आयातक का कहना है कि अफ्रीकन तुवर के दाम में 5 प्रतिशत की नरमी आई है।
यदि वहां से निर्बाध आयात जारी रहता तो इसके मूल्य में 10 प्रतिशत की गिरावट और आ सकती थी। तुवर का भाव कुछ समय से स्थिर बना हुआ है।
अफ़्रीकी साबुत तुवर का भाव घटकर 75-80 रुपए प्रति किलो पर आने की संभावना थी लेकिन निर्बाध आयात नहीं होने से यह गिरकर 90 रुपए प्रति किलो पर आ सका जबकि पहले 95-96 रुपए प्रति किलो की ऊंचाई पर पहुंच गया था।
मोजाम्बिक के कुछ व्यापारी (निर्यातक) कृत्रिम रूप से (जान बूझकर) तुवर का दाम बढ़ाने तथा भारत को इसकी आपूर्ति में रूकावट डालने का प्रयास कर रहे हैं। उन्हें पता है कि भारत में तुवर की कमी है और कीमत ऊंचे स्तर पर चल रही है।
इसका वे गलत ढंग से फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। मोजाम्बिक अफ्रीका में तुवर का एक प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश इसलिए बन पाया है क्योंकि भारत ने उसके उत्पाद को खरीदने का आश्वासन दिया था। मोजाम्बिक सरकार को ऐसे स्वार्थी निर्यातकों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।